Tuesday, February 25, 2025
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शराब घोटाले की CAG Report में हुए कई खुलासे, 2 हजार करोड़ से ज्यादा का हुआ नुकसान, AAP की खुली पोल

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में शराब नीति से जुड़ी सीएजी (CAG) रिपोर्ट मंगलवार को पेश की गई। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सदन के सामने यह रिपोर्ट रखी। इसके बाद स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने चर्चा शुरू करने से पहले कहा कि इस रिपोर्ट को पिछली सरकार ने छिपाने की कोशिश की। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी सरकार ने संविधान नियमों का उल्लंघन किया। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली की शराब पॉलिसी बदलने से 2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ है। बता दें कि बीजेपी ने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद पहले ही सत्र में सीएजी रिपोर्ट पेश की जाएगी।

‘कीमतों में की गई भारी वृद्धि’

दिल्ली विधानसभा में पेश की गई सीएजी (CAG) रिपोर्ट के अनुसार, नई शराब नीति के तहत थोक विक्रेताओं को अपनी मनचाही एक्स-डिस्टिलरी प्राइस निर्धारित करने की अनुमति दी गई थी। इससे लाइसेंसधारकों ने इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करते हुए कीमतों को मनमाने ढंग से बढ़ाया, जिसका असर सीधा उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ा।

‘कीमतों में 20 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि’

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, शराब की कीमतों में 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई थी, जिससे आम आदमी की खरीद क्षमता पर सीधा असर पड़ा। उदाहरण के लिए जैसे कोई शराब की बोतल पहले 800 रुपए में मिलती थी तो वो नई शराब नीति के बाद 1000 रुपए या इससे अधिक दाम में बिकने लगी। मूल्य में वृद्धि का मुख्य कारण मोनोपॉली और कार्टेलाइजेशन था, जिसकी वजह से बाजार में प्रतिस्पर्धा को खत्म कर दिया। उपभोक्ताओं को विकल्पों की कमी के कारण अधिक दाम पर शराब खरीदनी पड़ी।

ऐसे हुआ घाटा?

CAG रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब नीति में कई अनियमितताएं और लापरवाह फैसले लिए गए, जिससे दिल्ली सरकार को बड़ा नुकसान हुआ
• 941.53 करोड़ का नुकसान – कई जगहों पर खुदरा शराब की दुकानें नहीं खुलीं
• 890 करोड़ का घाटा – सरेंडर किए गए लाइसेंसों को दोबारा नीलाम करने में सरकार नाकाम रही
• 144 करोड़ की छूट – कोविड-19 का बहाना बनाकर शराब कारोबारियों को दी गई
• 27 करोड़ का नुकसान – शराब कारोबारियों से उचित सुरक्षा जमा राशि नहीं ली गई

ग्राहक तक ऐसे पहुंचती है शराब

शराब की आपूर्ति प्रणाली में कई पक्ष शामिल होते हैं. निर्माताओं, दिल्ली में स्थित गोदामों, सरकारी और निजी शराब की दुकानों, होटलों, क्लबों और रेस्तरां से होते हुए आखिरकार उपभोक्ताओं तक शराब पहुंचती है। आबकारी विभाग विभिन्न मदों से राजस्व एकत्र करता है, जैसे- उत्पाद शुल्क, लाइसेंस शुल्क, परमिट शुल्क, आयात/निर्यात शुल्क आदि।

तब क्‍या हो रहा था आतिशी ने बताया

दिल्ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री आतिशी ने कहा- तब 28% कम की शराब की बिक्री रिपोर्टिंग हो रही थी। शराब के दलालों की जेब में पैसे जा रहे थे। जिनके पास ठेके थे, वहां से शराब की स्मगलिंग हो रही थी। इससे दिल्ली सरकार को रेवेन्यू लॉस हो रहा था। इन शराब के ठेकेदारों ने गलत तरीके से प्राइस कैलकुलेट किया।

ये रिपोर्ट बार बार दोहरा रही है कि पुरानी आबकारी नीति से दिल्ली सरकार की रेवेन्यू लॉस हो रहा है। आज कैग रिपोर्ट ने साबित कर दिया है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने ओल्ड एक्साइज पॉलिसी को हटाकर सही फैसला लिया।

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