Friday, May 17, 2024
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MDU की सहायक महिला प्रोफेसर ने छात्र नेता पर लगाएं गंभीर आरोप, शिक्षिका ने राज्यपाल को भेजा पत्र

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महिला सहायक प्रोफेसर ने राज्यपाल को लिखे पत्र में लिखा है कि छात्र नेता ने सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ कीचड़ उछालने का अभियान शुरू किया था और 4 नवंबर को उन्होंने फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग में मेरे खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने मेरी डिग्री को फर्जी बताया और दावा किया कि यह पैसे देकर लाई गई है।

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रोहतक। MDU रोहतक के शिक्षा विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. वनिता रोज ने छात्र नेता विक्रम डूमोलिया पर कार्यस्थल पर धमकी देने, ब्लैकमेल करने, दुर्व्यवहार करने और परेशान करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। शिक्षिका ने इस बारे में विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बकायदा पहले पत्र भेजा और उसके बाद हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को भी पत्र भेज कर पूरा मामला संज्ञान में लाया है।

ध्यान रहे कि पिछले दिनों जब राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय विश्वविद्यालय के दौर पर थे तो छात्र नेता ने गवर्नर को लिखित शिकायत की थी। डॉ. रोज ने कहा कि कक्षा में शून्य उपस्थिति के कारण छात्र का नाम काट दिया था जिसके बाद छात्र नेता विक्रम इमोलिया उनसे रंजिश रखने लगा। डॉ. रोज ने बताया कि मेरे मामले का फैसला कोर्ट द्वारा काफी समय पहले किया गया था। इसके बाद भी यह छात्र डूमोलिया ने राज्यपाल को झूठी शिकायत दी।

डॉ. वनिता रोज का आरोप है कि छात्र हितों के नाम पर ये लोग अपनी राजनीति चमका रहे हैं। विक्रम डूमोलिया यूनिवर्सिटी में बने रहने के लिए हर बार किसी विभाग में दाखिला ले लेता है और खुद को छात्र नेता बताकर राजनीति करता है। इस बार इन्होंने शिक्षा विभाग में एमएड प्रथम सेमेस्टर में दाखिला ले रखा है। विभाग में जीरो हाजिरी होने के कारण अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में विभाग से इसका नाम काट दिया गया था और 13 अक्टूबर, 2023 को दोबारा नाम लिखवाया है। नाम कटे जाने का बदला लेने के लिए उसी दिन 13 अक्टूबर को विभाग के कार्यालय में आकर इसने तमाम लोगो के समक्ष मेरे रिसर्च स्कॉलर और अन्य कर्मचारियों के सामने मुझे गालियां दी तथा देख लेने की धमकी दी। दो दिन बाद, वह पांच अन्य छात्रों के साथ आया और उन्होंने पूरे स्टाफ के सामने मेरी डिग्रियों को फर्जी करार दिया।

डॉ. वनिता रोज ने कहा कि उसे इंटरव्यू में 25 में से 6 अंक देकर बाहर कर दिया गया था। इसके साथ ही इनका आरोप था कि उन्हें पीजी डिग्री में गोल्ड मेडल के 4 अंक भी नहीं दिए गए। इन मुद्दों को लेकर मार्च 2017 में मैंने उस भर्ती को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने डॉ. वनिता रोज के पक्ष को सही मानते हुए 2019 में मदवि द्वारा की गई। मेनका की उस नियुक्ति को रद कर दिया गया था। इसके बावजूद अब छात्र विक्रम डूमोलिया मुझे ब्लेकमैल कर रहा है। ये आरोप डॉ. वनिता का है।

महिला सहायक प्रोफेसर ने राज्यपाल को लिखे पत्र में लिखा है कि छात्र नेता ने सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ कीचड़ उछालने का अभियान शुरू किया था और 4 नवंबर को उन्होंने फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग में मेरे खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने मेरी डिग्री को फर्जी बताया और दावा किया कि यह पैसे देकर लाई गई है। शिक्षिका डॉ. वनिता का कहना है कि जब छात्र विक्रम डूमोलिया मुझ पर दबाव नहीं बना पाए तो शिक्षा विभाग की एक पूर्व प्राध्यापिका मेनका, जिसका सेलेक्शन उच्च न्यायालय की एकलपीठ तथा खंडपीठ द्वारा रद करके मुझे नियुक्ति दी गई थी, उसके पति के साथ मिलकर मेरे खिलाफ षडयंत्र रचा और राज्यपाल को शिकायत की।

सहायक प्रो. वनिता ने बताया कि शिक्षा विभाग में 2017 में एक पद पर भर्ती निकली थी। जिस पर उन्होंने अप्लाई किया था। इंटरव्यू के दौरान चयनित शिक्षिका मेनका जो अकादमिक क्राइटेरिया में उनसे लगभग 15 अंक पीछे थी तथा मेरिट में 9वें स्थान पर थी उसे 25 में से 23.5 अंक देकर मेनका का चयन कर दिया गया। अब छात्र नेता विक्रम डुमोलिया मुझे गालियाँ दे रहा है, ब्लैकमेल कर रहा है और धमकी दे रहा है।

संपर्क करने पर छात्र नेता विक्रम डुमोलिया ने असिस्टेंट प्रोफेसर के आरोप को झूठा और बेबुनियाद बताया। उसने कहा कि महिला सहायक प्रोफेसर ने मेरे खिलाफ दुर्भावनापूर्ण इरादे से शिकायत लिखी है क्योंकि मैंने उसके खिलाफ राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा परिषद और सतर्कता अधिकारी को शिकायत दर्ज की थी क्योंकि उसने एक ही समय में दो डिग्री हासिल की थी। मैंने महिला सहायक प्रोफेसर के शैक्षणिक विवरण के संबंध में विश्वविद्यालय, वीसी और रजिस्ट्रार के समक्ष अपना प्रतिनिधित्व दिया था।

छात्र का कक्षा में शून्य उपस्थिति होने के कारण महिला प्रोफेसर द्वारा नाम कटे जाने के बारे में जब छात्र नेता से पूछा गया तो उसने बताया कि विभागाध्यक्ष को नाम काटने का अधिकार है और अन्य शिक्षक उपस्थिति एचओडी को भेज सकते हैं। लेकिन एक प्रोफेसर को कोई अधिकार नहीं है कि वो किसी भी छात्र का डायरेक्ट बिना किसी कार्रवाई के नाम काट दे। हालाकि एमडीयू की तरफ से इस मामले पर कोई बयान सामने नहीं आया है।

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