गुस्ताखी माफ हरियाणा- पवन कुमार बंसल : कांच काड़ने का मतलब क्या है ? कल की पोस्ट में चर्चा थी कि इस बार प्रदेश की जनता ने असेम्बली चुनाव में भाजपा की कांच काड़ने का फैसला किया है सो ठेठ हरियाणवी तो इसका मतलब समझ गए लेकिन मेरे काफी पाठक खासतौर पर जो दक्षिण भारत से है वे पूछ रहे है की इसका मतलब क्या है? क्या यह कोई लाइलाज बीमारी है l पाठको को बता दे की यह ऐसी बीमारी है जिसमें असहाय पीड़ा होती हैं और इसका डॉक्टरों के पास कोई इलाज नहीं l
यह तो दर्द देकर अपने आप ही ठीक होती हैं I हरियाणा के लोग अच्छे- अच्छे फने खां की कांच निकाल चुके है। असल में कांच निकालने में उन्हे मजा आता है। 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में वे चंद्रावती के मुकाबले तब के डिफेंस मिनिस्टर बंसीलाल को हरा कर उनकी कांच निकाल चुके हैं i फिर करनाल लोकसभा सीट से राजनीति के पी एच डी भजनलाल जो अफसर आई डी स्वामी से हरवा उनकी कांच निकाल चुके है l देवीलाल की तीन बार रोहतक लोकसभा सीट और एक बार घिराय असेम्बली सीट से हराकर उनकी भी कांच निकालकर अपना नाम गिनीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवा चुके हैं l ओम प्रकाश चौटाला की भी नरवाना में दो बार कांच निकाल चुके हैं।
अहीरवाल के बेताज बादशाह राव बीरेंद्र सिंह और इंदरजीत की कांच भी वे निकाल चुके है l 1967 किलोई में रणबीर सिंह की कांच निकाली l पिछले असेम्बली चुनाव में तो गजब हो गया l अभिमन्यु, धनखड़, बराला, विपुल और रामबिलास शर्मा सहित न जाने कितनों की कांच निकाल कर उन्हे मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल रोहतक में दाखिल करवा दिया। डॉक्टर मंगलसेन्न की कांच लाला श्रीकिशन से और शमशेर सिंह सुरजेवाला की कांच नरवाना असेम्बली चुनाव में टेक चन्द नैन से निकलवाई। दस साल मुख्यमंत्री रहे भूपिंदर हुड्डा की कांच सोनीपत लोकसभा सीट से रमेश कौशिक से और तीन बार के सांसद हुड्डा के लाडले की रोहतक से अरविन्द शर्मा से निकलवाई।1987 में तोशाम से बंसी लाल को धर्मबीर से हरा कर….
1962 में कांग्रेस के कई धुरन्द्र सूरजमल सखिये को एक नौसखिये द्वारा हरा कर…
कलायत से बाबू बृष भान को हरा कर… ।
2014 में हिसार लोक सभा सीट पऱ भजन लाल के दीप कुलदीप को पटकनी दे कर….कांच