Friday, November 15, 2024
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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद केंद्र सख्त, पराली जलाने पर जुर्माना अब दोगुना होगा

पराली जलाने के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके साथ ही 2 एकड़ से 5 एकड़ तक के किसान अगर पराली जलाते हैं तो उन्हें 10,000 रुपये का भुगतान करना होगा. इससे अधिक जमीन वाले किसानों को 30 हजार रुपये जुर्माना देना होगा।

केंद्र ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों पर 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के एक विश्लेषण के अनुसार, शहर 1 से 15 नवंबर तक सबसे अधिक प्रदूषण का सामना कर रहा है। जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले बढ़े. बता दें कि पिछले साल नवंबर में देश की सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर सख्ती दिखाई थी। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारें इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह प्रदूषण रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अब केंद्र सरकार ने ये कड़ा फैसला लिया है। यह सरकारी जुर्माना नियम राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (पराली जलाने, संग्रह और उपयोग पर पर्यावरणीय मुआवजा) संशोधन नियम, 2024 में लागू होगा। सर्दी का मौसम शुरू होते ही पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैं। इसी बीच दिल्ली की हवा प्रदूषित होने लगती है।

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अभी सर्दी शुरू भी नहीं हुई है और वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब स्तर पर पहुंच गया है। लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों ने सुबह की सैर पर जाना भी बंद कर दिया है। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी चिंता जताई और कहा कि प्रदूषण के कारण उन्होंने सुबह टहलना बंद कर दिया है।

दरअसल, 4 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा से 14 नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा था। इससे पहले 23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वायु प्रदूषण को लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) के तहत नियम बनाने और जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 23 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं था।

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