कुरुक्षेत्र। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक उस्ताद डॉ मुजतबा हुसैन को पतंजलि हरिद्वार से पधारे प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण द्वारा सम्मानित किया गया।
प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वेद विद्या शोध संस्थान, पिपली के संचालक स्वामी सम्पूर्णानंद के कुशल मार्गदर्शन में 1 से 12 फरवरी तक धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर स्थित योग भवन, में चल रहे बारह दिवसीय चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ उनके शिष्यों डा. कुकरेजा, राहुल, शिव व अन्य शिष्यों विष्णु, स्नेहा व वंदिता सहित गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने बांसुरी पर ध्वनि व गायत्री मंत्र से प्रारम्भ किया।
ब तक 300 से भी अधिक फिल्मों में बांसुरी वादन कर चुके हैं
उन्होंने कहा कि उस्ताद मुजतबा अब तक 300 से भी अधिक फिल्मों में बांसुरी वादन कर चुके हैं व उन्हें अनेक विशिष्ट सम्मानों से भी सुशोभित किया जा चुका है। आज के पावन अवसर पर स्वर्गीय रविन्द्र जैन द्वारा रचित रामायण सीरियल की प्रसिद्ध चौपाई राम सिया राम सिया राम जय जय राम बाँसुरी पर वादन कर सभी गणमान्य उपस्थित जनों का मन मोह लिया। स्वामी संपूर्णानंद के विशेष आग्रह पर गदर फिल्म का गीत उड़ जा काले कावां जिसका मूल रूप से वादन भी उनके द्वारा किया गया है को भी बांसुरी पर वादन कर दर्शकों को झूमने के लिए विवश कर दिया।
उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र में उनके शिष्य प्रतिनिधि के तौर पर हरियाणा योग आयोग के सदस्य एवं पूर्व में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला द्वारा बाँसुरी के लिए नामित गुरु डॉ. कुकरेजा कुरुक्षेत्र में व अन्य कई शिष्य अन्य प्रदेशों में बांसुरी वादन शिक्षा का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। कई शिष्य बाँसुरी विद्या को उनके कुशल मार्गदर्शन में सीख कर समस्त भारत में प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
हरियाणा कला परिषद के सहयोग से 4 बाँसुरी वादन प्रशिक्षण की कार्यशालाएं भी डॉ. मनीश कुकरेजा द्वारा गत वर्षों में कुरुक्षेत्र में आयोजित कर दर्जनों बच्चों को बांसुरी वादन का प्रशिक्षण दिया जा चुका हैं। बाँसुरी वादन प्रशिक्षण हेतु विशेष सहयोग देने के लिए उन्होंने हरियाणा कला परिषद का विशेष रूप से आभार प्रकट किया।
उस्ताद मुजतबा ने बताया कि उनका एक सपना है कि भगवान कृष्ण की कर्मनगरी एवं गीता स्थली कुरुक्षेत्र की प्रत्येक गली में बांसुरी की आवाज गूंजे। बांसुरी वादन का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उन्हें प्रतिदिन नियमित रूप से अभ्यास करने की प्रेरणा