हिसार। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं के पार्षदों की पावर बढ़ाने और बैठक भत्ते की शुरुआत करने की घोषणा करते हुए कहा कि वार्ड कमेटी गठित होने तक कमेटी की फुल पावर अब सम्बंधित वार्ड के पार्षद के पास होगी ताकि वार्ड में विकास कार्यों को और गति प्रदान की जा सके। साथ ही, जब तक वार्ड कमेटी में सचिव की नियुक्ति नहीं होती या किसी कारण सचिव बैठक से अनुपस्थित हो तो ऐसी स्थिति में पार्षद के पास किसी भी स्नातक व्यक्ति से बैठक की कार्यवाही बनवाने के लिए 1000 रुपए प्रति बैठक का पारिश्रमिक देने का अधिकार भी होगा। इसके अतिरिक्त, वार्ड कमेटी की प्रत्येक तिमाही बैठक के लिए पार्षद को बतौर चेयरमैन बैठक भत्ता भी दिया जायेगा।
मुख्यमंत्री हिसार में आयोजित राज्य स्तरीय शहरी स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन में प्रदेशभर से आये जन प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे थे।
नगर निकाय प्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी करने के लिए कमेटी गठित
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शहरी स्थानीय निकाय राज्य मंत्री सुभाष सुधा के नेतृत्व में नगर निकाय प्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी करने के लिए एक समिति गठित करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा की यह समिति सभी से विचार विमर्श कर जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी। श्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा करते हुए कहा कि अब से तिमाही बैठक में शामिल होने के लिए नगर पालिका के पार्षद को 1600 रुपए की बैठक भत्ता राशि मिलेगी। इसी प्रकार, नगर परिषद के पार्षद को 2400 रूपए तथा नगर निगम के पार्षद को 3000 रुपए की भत्ता राशि प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री या केंद्रीय मंत्री के आगमन पर नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं के पार्षदों की क्रमशः 30000, 20000 और 10000 रुपए की राशि कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रदान की जाएगी।
पार्षद अपने अपने वार्डों में सभी विकास कार्यों की करेंगे निगरानी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पालिकाओं के सभी पार्षद अपने-अपने वार्ड में सभी प्रकार के कार्यों की निगरानी करेंगे जिसमे वार्ड के विकास कार्यों का बजट बनाना या उसमे आवश्यक्तानुसार बदलाव, साफ सफाई का प्रबंधन, भूमि विकास या सी एल यू व जोनिंग प्लान का कार्य, खेल के मैदानों, सड़कों व स्ट्रीट लाइट के रखरखाव , स्वास्थ्य केंद्रों की गतिविधियों की निगरानी, जल आपूर्ति, सफाई प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थय और शहरी क्षेत्र में गरीब व्यक्तियों की मूलभूत सेवाओं की व्यवस्था आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि अब विभिन्न विभागों के सम्बंधित कर्मचारियों को भी वार्ड कमेटी की बैठक में शामिल होना अनिवार्य होगा। पालिकाओं के पार्षदों को आयुष्मान भारत – चिरायु योजना के तहत चिकित्सा सुविधाओं का लाभ भी मिलेगा।
नायब सिंह सैनी ने पार्षदों को शहरों की सरकार बताते हुए कहा कि वर्तमान राज्य सरकार शहरों और कस्बों में आधारभूत सरंचना को सुदृढ़ बनाने पर विशेष बल दे रही है। गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, हिसार और पंचकूला के विकास के लिए मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया गया है। इतना ही नहीं, नगर निगम, नगर परिषद व समितियों के मेयर, अध्यक्ष सहित सदस्यों के मानदेय में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों के शक्तियों के विकेन्द्रीकरण के लिए भी कई कदम उठाए हैं। हमने मेयर का प्रत्यक्ष चुनाव करवाया है ।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में विकास कार्यों को प्रदान की जा रही गति – सुभाष सुधा
इस अवसर पर शहरी स्थानीय निकाय राज्य मंत्री सुभाष सुधा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा लगभग 9 वर्षों तक सबका साथ-सबका विकास के साथ बहुत से विकासात्मक कार्य किए गए। अब वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में विकास कार्यों को और गति प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 800 अनधिकृत कॉलोनियों को अप्रूव किया जा चुका है। बकाया प्रॉपर्टी टैक्स भरने में भी 15% की छूट दी गई है। साथ ही गांव और शहर को लाल डोरा से मुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक 20 निकायों में उन्हें जाने का मौका मिला है और जहां पर भी पार्षदों से शिकायत मिली है ऐसे लगभग 30 अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों का मान सम्मान में कोताही बरतेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों को कई सौगात देते हुए उनका मान सम्मान भी बढ़ाने का कार्य करेंगे।
शहरी स्थानीय निकायों के पास विकास कार्यों के लिए फंड्स की कोई कमी नहीं स्वास्थ्य मंत्री
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर कमल गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में शहरी स्थानीय निकायों के पास विकास कार्यों के लिए फंड्स की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब स्थानीय निकाय का प्रभार उनके पास था तो प्रदेश की 87 निकायों के पास 5169 करोड रुपए अकाउंट में थे।