MP News, रेशम के धागे से दवाइयां और सेरी बैंडेज बनाने के लिये मंगलवार को नर्मदापुरम सिल्क इन्क्यूबेटर एवं शासकीय सरदार वल्लभ भाई पटेल पॉलिटेक्निक कॉलेज भोपाल के बीच मेमोरेन्डम ऑफ अन्डरस्टेन्डिंग (एमओयू) हुआ। ऐसा नवाचार करने के मामले में मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य बन गया है।
कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिलीप जायसवाल की विशेष रूचि एवं पहल पर टेक टॉक के तहत फाइब्रोहिल कंपनी के श्री विवेक मिश्रा एवं शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल श्री के.वी. राव के बीच में हुए इस एमओयू के तहत अब रेशम से सेरी बैंडेज बनाने की प्रक्रिया को गति मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सतपुड़ा एवं नर्मदा के वनों का ककून अत्यंत शुद्ध एवं प्रदूषण रहित माना जाता है। उन्हीं ककून से दवाइयां बनायी जायेंगी। इससे पावडर, क्रीम, सेरी बैंडेज, सिजेरीयन ड्रेसिंग, डायबिटिक घाव की ड्रेसिंग तथा ऑपरेशन के बाद की ड्रेसिंग भी बनायी जा सकेंगी।
रेशम घाव को गीला नहीं रखता एवं शरीर के साथ भी नहीं चिपकता तथा रेशम से फायब्रोयिन नामक प्रोटीन निकलता है, जो जख्मों, डायबिटिज से ऊगंलियों में होने वाले घाव एवं गर्भवती महिलाओं के सर्जिकल डिलीवरी के घाव कम समय में ठीक करता है तथा इससे संक्रमण की संभावना भी नगण्य हो जाती है।
वर्तमान में प्राणियों के कॉलिजन से बैंडेज बनता था, जिसका रेशम एक अत्यंत बेहतर व टिकाऊ विकल्प है। रेशम से समृद्धि योजना के तहत कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा वर्तमान में रेशम उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन सहायता दी जाती है। इसके अलावा रेशम से दवाइयां व बैंडेज बनने से किसानों के रेशम की मांग बढ़ेगी और मांग बढ़ने से उनकी आय में डेढ़ से दो गुना वृद्धि हो सकेगी।