कविता, फरीदाबाद। स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान में शहर की रैंकिंग सुधारने के लिए भले ही रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था शुरू करा दी गई हो, लेकिन शहर को पूरी तरह स्वच्छ बनाने के लिए यही काफी नहीं है। जगह-जगह लगे कूड़ेदान तो शहर को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से उठवा दिए गए, लेकिन इन कूडेÞदानों के उठने के बाद भी शहर में कचरे के ढेर लग रहे है, क्योंकि पिछले 26 जून से शहर से कचरे का उठान होना ही बंद हो गया है, जिस कारण लोग परेशान हो गए है। ऐसा ही शहर के हर गली मोड़ नुक्कड़ पर देखने को मिल रहा है। ऐसे में शहरवासी परेशान है।
नहीं उठ रहा कचरा
शहर से नियमित कूड़ा उठाने का इंतजाम ही नहीं है। कई मोहल्लों में तीन-चार दिन तो कहीं हफ्तों बाद कूड़ा उठता है। ऐसे में कचरे से भरे कूड़ेदानों के जरिए लोग शहर की सड़कों पर कचरा फेंकने का काम कर रहे है। जिसके कारण शहर की सड़कों के किनाने गंदगी बिखरती है। लोग भी दूर से ही कूड़ा उछालकर चले जाते हैं। जिम्मेदारों की यह लापरवाही स्वच्छता अभियान पर भारी पड़ रही है।
शहर में कूड़ेदान नहीं
शहर में पहले 40 वार्ड है, लेकिन नगर निगम और नए वार्ड बना रहा है, जिस कारण इन सभी वार्डों से रोजाना हजारों टन कूड़ा निकलता है। जिसके लिए शहर में पहले तो कूड़ेदान जगह जगह लगाए गए थे, लेकिन कुछ वर्षों पहले शहर को सुंदर बनाने के चक्कर में यह कूड़ेदान हटा दिए गए। जिसके बाद से ईकोग्रीन कर्मी डोर टू डोर कचरा उठाने का काम करने लगे, लेकिन कुछ महीनों पहले नगर निगम ने ईकोग्रीन का काम किसी अन्य ठेकेदार को सौंप दिया। तभी से डोर टू डोर शहर के कुछ हिस्सों में कचरा उठना बंद हो गया। ऐसे में शहर की सड़कों के किनारे लोगों ने एक बार फिर से कचरा फैंकना शुरू कर दिया है। ऐसे में शहर में जगह जगह कचरे के ढेर एक बार भी लगने शुरू हो गए। अब न तो कचरा डालने के लिए लोगों को कूड़ेदान मिलते है और न ही गाड़िया, ऐसे में स्मार्ट सिटी की सड़कें ही लोगों के लिए कचरा घर बन गई है।
कहा गए कूड़ेदान
सड़क व रास्ते में कचरा न बिखरे लिए इसके लिए नगर निगम ने जगह-जगह कूड़ेदान लगा रखे थे। कहीं बड़े कूड़ेदान थे तो कहीं प्लास्टिक का छोटा कूड़ादान रखा गया था। प्रत्येक मोहल्लों में एक-दो कूड़ादान रखा होता था, लेकिन जब से नगर निगम ने स्वच्छता अभियान चलाया है, पिछले करीब एक वर्ष में शहरभर के कूड़ेदान गायब हो गए। जब से कूड़ेदान गायब हुए है, तब से शहर की सड़कें कचरे में तब्दील हो रही है। सड़कों पर कचरों का अंबार लगा हुआ है। लेकिन उनको उठाने का कार्य नहीं किया जाता है। एक-एक सप्ताह तक कचरा उसी तरह पड़ा रहता है। यह स्थित लगभग हर वार्डों में देखने को मिल जाएगी।
कर्मी नहीं उठाते कचरा
नगर निगम की तरफ से शहर को साफ सुथरा बनाने के लिए निगम में कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, लेकिन कर्मचारी एक घर से कचरा उठाने के नाम पर सौ से डेढ़ सौ रुपये वसूलते है, तो वहीं कुछ घरों से तो कचरा उठाने से साफ मना कर देते है, जबकि नगर निगम की तरफ से शहर के हर गली मोहल्ले के लिए एक एक निगम कर्मी की ड्यूटी लगाई जाती है, जिसके लिए सरकार की तरफ से उन्हें प्रत्येक माह मोटी तनख्वाह भी दी जाती है, लेकिन कर्मचारी तनख्वाह पाकर भी घरों से कचरा उठाने का काम नहीं करते है।