हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।हिन्दू धर्म में इस त्यौहार बहुत खास महत्व होता है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा भी कहते हैं। लेकिन इस बार गुरु पूर्णिमा की तारीख को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है। 20 और 21 जुलाई दोनों दिन पूर्णिमा तिथि होने से व्रत को लेकर समस्या बनी हुई है ,ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं की आखिर गुरु पूर्णिमा का व्रत कब होगा ? इसके सुबह मुहृत और पूजा विधि के बारे में भी जानिए –
गुरु पूर्णिमा का महत्व
मान्यता है कि इस दिन वेद व्यास जी की का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वेद व्यास जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ और व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके साथ ही इस दिन गुरुओं की पूजा करने का भी खास महत्व है। इस दिन गुरु अपने शिष्यों को दीक्षा भी देते हैं ,
गुरु पूर्णिमा का व्रत –
इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई रविवार को है। ऐसे इसलिए क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का पावन त्योहार आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत 20 जुलाई को शाम 5:59 से होगी और इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 3:46 पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 21 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा का पावन त्योहार मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें। पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। पूजा घर की सफाई करने के बाद भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और वेद व्यास जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान को चंदन का तिलक लगाएं और व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और वेद व्यास जी का पूजा भी करें। इसके बाद गुरु चालीसा का पाठ करें और इसके साथ ही गुरु पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ करें। भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और वेद व्यास जी को मिठाई, फल-फूल और खीर आदि अर्पित करें। आखिर में सत्यनारायण भगवान की आरती करें।
गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु का आशीर्वाद पाने के लिए आप उनके चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लें, इसके बाद 108 तुलसी या रुद्राक्ष की माला पर गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः मंत्र का जाप करें।