चंडीगढ़ प्रशासन के सरकारी आवास में रहने वाले कर्मचारियों की जेब अब हर महीने थोड़ी भारी होने वाली है। प्रशासन ने मकान लाइसेंस फीस पर फैसला लेते हुए सभी सरकारी मकानों की लाइसेंस फीस बढ़ाने का फैसला लिया है। यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने भी फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
जल्द ही प्रशासन इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा। जानकारी के मुताबिक, यूटी प्रशासन के तहत करीब 22 श्रेणियों के सरकारी आवास की लाइसेंस फीस 50 फीसदी तक बढ़ाने का फैसला किया गया है।
इस फैसले से यूटी प्रशासन के साथ-साथ पंजाब, हरिधाना और दूसरे राज्यों से डेपुटेशन पर आए कर्मचारियों को भी सरकारी मकानों की बढ़ी हुई लाइसेंस फीस चुकानी होगी। इस संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा कि नई लाइसेंस शुल्क दरें कब लागू की जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक, नए नियम 1 जनवरी या 1 जुलाई से लागू होंगे। लाइसेंस शुल्क में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी से कर्मचारियों का लाइसेंस शुल्क 13 प्रकार (सबसे अधिक छूट वाला मकान) से बढ़कर तीन प्रकार (आधिकारिक) हो जाएगा। खास बात यह है कि सरकारी आवास के कर्मचारी सरकार के पक्ष में हैं।
बता दें कि सरकारी मकानों के लिए कर्मचारियों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले मूल किराए के अलावा लाइसेंस शुल्क भी देना पड़ता है। प्रशासन के इस फैसले से लाइसेंस फीस 100 रुपये से बढ़कर 1000 रुपये हो जाएगी।
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कर्मचारी लगातार यूटी प्रशासन से सरकारी आवासों की खराब हालत की शिकायत करते रहते हैं। बरसात के मौसम में 70 फीसदी सरकारी आवासों में लीकेज की समस्या रहती है। पिछले साल भी इंजीनियरिंग विभाग में इसकी काफी चर्चा हुई थी। लाइसेंस फीस बढ़ने के बाद कर्मचारियों के घरों की हालत में सुधार होने की उम्मीद है। यूटी सलाहकार राजीव वर्मा ने सरकारी आवास मामले पर इंजीनियरिंग विभाग से रिपोर्ट मांगी है।
आवास आवंटन को लेकर हाल ही में हुई बैठक में कंसलटेंट ने सख्त निर्देश दिये हैं कि कर्मचारियों को सरकारी आवास आवंटित करने से पहले जर्जर सरकारी भवनों की मरम्मत का काम पूरा कर लिया जाये। अगर कोई कमी हुई तो इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों पर गाज गिरेगी।