हरियाणा में लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद अब इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP) की मुश्किलें बढ़ने वाली है। जहां जजपा के अस्तित्व पर तो वोट शेयर कम होने से इनेलो चुनाव निशान चश्मे पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
इनेलो को इस चुनाव में 6 फीसदी तक वोट शेयर मिलने की आशा थी और यह महज दो फीसदी से कम (1.74%) रह गई। चुनाव आयोग के नियमों में राज्य स्तरीय दलों को कम से कम 6 फीसदी वोट शेयर मिलना अनिवार्य होता है। अगर लगातार दो चुनाव में कोई क्षेत्रीय पार्टी इस पैमाने को पूरा नहीं करती है तो उसकी मान्यता समाप्त हो जाती है और चुनाव चिन्ह जब्त हो जाता है। बता दें कि 2019 में इनेलो को लोकसभा चुनाव 1.89 फीसदी और विधानसभा में 2.44 फीसदी वोट मिले थे।
वहीं भाजपा के साथ करीब साढ़े चार साल तक सत्ता में रही जजपा (JJP) को तो एक प्रतिशत (0.87 फीसदी) मत भी नहीं मिल पाए।
प्रत्याशियों की जमानतें जब्त
लोकसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी ने प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। वहीं इनेलो ने कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम अंबाला, सिरसा, हिसार चुनाव लड़ा। करनाल सीट पर एनसीपी के वीरेंद्र मराठा को समर्थन दिया था। अभय चौटाला समेत दाेनों दलों के प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गईं।
जजपा के 6 विधायकों ने बगावती तेवर
जजपा के प्रदेश में 10 विधायक हैं, जिनमें से 6 विधायकों ने बगावती तेवर अपनाए हुए हैं, उनमें देवेंद्र बबली, रामकुमार गौतम, ईश्वर सिंह, रामनिवास सुरजाखेड़ा, जोगी राम सिहाग और राम करण काला शामिल हैं। अब लोकसभा नतीजे आने के बाद इनके तेवर और कड़े हाेंगे।
इनेलो के टूटने के बाद बनी जेजेपी
उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नाम से दल बनाया था। उनके निधन के बाद पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने इस दल का नेतृत्व किया। 2018 में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) मे टूट पड़ गई। अजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को बनाया। वहीं अब ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला के हाथों में इनेलो पार्टी की जिम्मेदारी है।