रोहतक। साइबर ठग विदेशों में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों को बड़े अधिकारी बन कर फोन कर रहे हैं और उन्हें ठगी का शिकार बना रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक से ठगी की जा रही है। ऐसे परिवार जिनके रिश्तेदार, जितने भी बाहर में निवास कर रहे हैं या पढ़ रहे या अन्य कोई रोजगार या किसी कारणवश अपने पारिवारिक सदस्य से दूर है उन्हीं लोगों को इस ठगी के शिकार होने की संभावना ज्यादा है।
एआई तकनीक का इस्तेमाल कर बना रहे निशाना
इस एआई तकनीक से अपराधी जिसे भी फोन लगाते हैं उनके परिचित का आवाज उनको सुनाते हैं या इसमें परिचित की आवाज में ही फोन आए कि मैं मुसीबत में हूं। जिसमें वह आर्थिक मदद की मांग करें कि मैं हॉस्पिटल में हूं या किसी इमरजेंसी के कारण मुझे पैसे की जरूरत पड़ रही है। मेरा फोन और गूगल या फोन पे बंद है, इमरजेंसी में कोई नए नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर दो। जब कोई ऐसा फोन आए तो, फोन करने वाला कितनी ही जल्दी करने के लिए बोले, नागरिकों को सतर्क होकर किसी भी तरह ये जानने की कोशिश करे कि जो आवाज से बात हुई, वह व्यक्ति किस स्थान पर है और वह सुरक्षित है कि नहीं। जब कोई व्यक्ति ऐसा सतर्क होकर एक फोन पर अपराधी से बात करते हुए, इशारे या लिखकर अपने घर परिवार दोस्त पड़ोसी आदि शुभचिंतक से सहयोग कर यह कार्य करेंगे वो ठगी से बच जाएंगे।
अपराधी किसी भी जो बाहर रह रहे हैं उनकी आवाज को कॉपी करके इस आवाज पर शब्दों का नया एक लाइन लिखी जाती है जैसे मुझे बचा लो, यह लोग मुझे फंसा दे रहे हैं, मैं जेल चली जाऊंगी या मैं जेल चला जाऊंगा। इस प्रकार की लाइन को अपराधी एआई तकनीक से डबिंग करके मोबाइल में अपने रिकार्ड रखते हैं और जो व्यक्ति बाहर निवास कर रहा उसके माता-पिता भाई-बहन पति पत्नी आदि को फोन करके उनको कहते हैं कि अमुक व्यक्ति आपका रिश्तेदार है। इसके अलावा कोई अधिकारी बन कर फोन करता है तो भी सावधान रहने की आवश्यकता है।
हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुंरत कॉल करें
रोहतक एसपी हिमांशु गर्ग ने बताया कि आपके बेटे या बेटी का नाम लेकर कहा जाए कि वह कहां है और अगले ही पल पर कहा जाए कि मैं नारकोटिक्स विभाग, सीबीआई या पुलिस से बोल रहा हूं और वह हमारी हिरासत में है। ड्रग्स या अन्य किसी गतिविधि में शामिल होने की वजह से उसे पकड़ा गया है। इसके अलावा आपके नाम विदेश से पार्सल आया और उसमें आपतिजनक वस्तु होने की बात कही जाए तो तुंरत सतर्क हो जाए। यह साइबर ठगों ठगों का काम हो सकता है। साइबर ठग आपको डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का शिकार बना सकते हैं। ऐसे हालात में घबराए नहीं सचेत रहे और साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुंरत कॉल करें।
बड़ा अधिकारी बताकर दी जाती है धमकी
एसपी ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट में पीड़ित को स्काइप के माध्यम से निगरानी में रखा जाता है। ठगी करने के बाद ही उसे मुक्त किया जाता है। राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर डिजिटल अरेस्ट की शिकायतों में अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, सीबीआई विभाग, आरबीआई और ईडी जैसी ऐंजिसियो के अधिकारी बताकर धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातों को अंजाम देते है। ऐसे जालसाजो से बचकर रहे और तुंरत शिकायत साइबर हैल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करें।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
यह साइबर ठगो द्वारा अपनाया जाने वाला ठगी का नया तरीका है। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग किसी सरकारी एजेंसी का अफसर या पुलिस अफसर बनकर वीडियों कॉल करते है। वीडियो कॉल के बैकग्राउंड को किसी पुलिस स्टेशन की तरह बना लिया जाता है। जिसे देखने वाला हर व्यक्ति डर जाता है और उनकी बातो में आ जाता है। इसमें पीडित को फोन कर झूठे मामले में पहले काफी डराया जाता है। कहा जाता है कि उपर मामला दर्ज किया जा रहा है, जिससे वह डर जाता है। इसमें वीडियों कॉलिंग के द्वारा पीडित को घर में बंधक बना लिया जाता है। ठगो द्वारा व्यक्ति को 24 घंटे उनके संपर्क में रहने के लिए सर्विलांस पर फोन या बेवसाइट के जरिए नजर रखने की बात कहीं जाती है।