Hisar : गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं के लिए लोबिया चारे की फसल लाभकारी है। लोबिया की खेती प्राय: सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढऩे वाली फलीदार, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट चारे वाली फसल है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,हिसार के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने किसानों को लोबिया फसल की बिजाई संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली (सब्जी) व हरी खाद के रूप में अकेले अथवा मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया को उगाया जाता है। हरे चारे की अधिक पैदावार के लिए इसे सिंचित इलाकों में मई में तथा वर्षा पर निर्भर इलाकों में बरसात शुरू होते ही बीज देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि गर्मियों में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ाने के लिए लोबिया का चारा अवश्य खिलाना चाहिए। इसके चारे में औसतन 15-20 प्रतिशत प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है।
उन्नत किस्मों का चयन करके अधिक पैदावार प्राप्त करें किसान
उन्होंने बताया कि किसान लोबिया की उन्नत किस्में लगाकर चारा उत्पादन बढ़ा सकते हैं। लोबिया की सी.एस. 88 किस्म, एक उत्कृष्ट किस्म है जो चारे की खेती के लिए सर्वोतम है। यह किस्म विभिन्न रोगों विशेषकर पीले मौजेक विषाणु रोग के लिए प्रतिरोधी व कीटों से मुक्त है। इस किस्म की बिजाई सिंचित एवं कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी तथा खरीफ के मौसम में की जा सकती है। इसका हरा चारा लगभग 55-60 दिनों में कटाई लायक हो जाता है। इसके हरे चारे की पैदावार लगभग 140-150 क्विंटल प्रति एकड़ है।