रोहतक। रोहतक में पांच साल पहले मंदबुद्धि युवक से कुकर्म मामले में आरोपी युवक को साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया। बचाव पक्ष के वकील पीयूष गक्खड़ ने बताया कि 2019 में एक महिला ने शिकायत दी उसका बालिग बेटा मंदबुद्धि है। वह अच्छी तरह से बोल नहीं सकता। इशारों में ही अपनी बात समझाता है। वह पड़ोस में गया हुआ था, जहां से भागता हुआ आया। उसे देखा तो खून से लथपथ था। पता चला कि 25 साल के युवक ने उसके साथ कुकर्म किया। पुलिस ने कुकर्म व जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज किया। बाद में धारा 307 भी जोड़ी गई, तभी से जिला अदालत में केस की सुनवाई चल रही थी।
अदालत से बचाव पक्ष का कहना है कि केस में पीड़ित व उसकी मां की गवाही हुई। पीड़ित की मां ने जब उसे अस्पताल में दाखिल कराया तो डॉक्टर को बताया था कि उसके बेटे को चोट लगी हैं जबकि एफआईआर में कुकर्म बताया। दूसरा, पीड़ित हो या ना में जवाब दे सकता है। साथ ही पुलिस जांच में अन्य युवकों के नाम भी सामने आए। यह कैसे साबित होगा कि आरोपी ने ही यह अपराध किया। तीसरा पुलिस ने केस में किसी एक्सपर्ट को शामिल नहीं किया, जो यह बता सके कि मंदबुद्धि युवक क्या बता रहा है। इसके बाद अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया।