रोहतक। PGI रोहतक के डॉक्टर्स ने एक बार फिर भगवान बन एक बच्चे की जान बचा ली। खेलते हुए बच्चे के शरीर में कीले घुस गई जिससे बच्चे की खून की नाली कट गई। बच्चे के पेरेंट्स उसे लेकर इधर से उधर कई डॉक्टरों के पास भागे लेकिन इलाज सम्भव न होने की वजह से उसे पीजीआई के ट्रामा सेंटर भेजा गया। जहां डॉक्टरों की मुस्तैदी ने बच्चे को संभाला और क्रिटिकल कंडीशन में होने के बावजूद बच्चे की जान बचा ली।
अत्यधिक खून का रिसाव
रोहतक PGI के सर्जरी विभाग की प्रोफेसर डॉ. नित्याशा ने बताया कि 23 मार्च को करीब 14 वर्षीय गांव अटायल निवासी पीयूष जब खेलकूद करते हुए घर के मेन गेट को लांघ रहा था, इसी दौरान उसका संतुलन खराब हो गया। उसकी बांई बगल में मेन गेट की नुकीली कीलें घुस गईं। कीलें अधिक नुकीली होने के चलते एकदम अत्यधिक खून का रिसाव शुरू हो गया। ऐसे में घर वाले घबराकर बच्चे को सांपला के प्राथमिक अस्पताल में ले गए। वहां पर बच्चे की हालत को देखते हुए उसे बहादुरगढ़ रेफर कर दिया।
समय अधिक बीतने पर हालत हुई गंभीर
जहां से उसे पीजीआईएमएस रोहतक के लिए रेफर किया गया। बच्चे की गंभीर होती जा रही हालत को देखते हुए मां-बाप उसे पहले एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए, जहां से ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। जैसे ही बच्चा ट्रामा सेंटर में पहुंचा तो चिकित्सकों ने जांच के दौरान पाया कि अधिक समय बीतने के चलते बच्चे की हालत काफी गंभीर होती जा रही है। ऐसे में सर्जरी विभाग के साथ कार्डियक सर्जरी की टीम ने निदेशक डॉ. एसएस लोहचब के मार्गदर्शन में ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन के दौरान पाया कि खून की नली कटी हुई थी। जिस पर बड़ी सावधानी पूर्वक मरीज का ऑपरेशन किया गया।
ठीक होने के बाद मिली छुट्टी
इसके बाद बच्चे को 1 दिन के लिए बेहोशी विभाग के चिकित्सक डॉ. प्रीतम की निगरानी में आईसीयू में भर्ती किया गया। फिर उसे वार्ड पांच में शिफ्ट किया गया। बच्चे की हालत ठीक होने पर और बच्चे का हीमोग्लोबिन धीरे-धीरे बढ़ने पर उसे छुट्टी दे दी गई। डॉ. नित्याशा ने कहा कि एक्सीडेंट में अधिक रक्तस्राव होने पर तुरंत बड़े अस्पताल में दिखाएं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अभिभावकों का 24 घंटे बच्चों पर ध्यान रहना लगभग असंभव-सा हो गया है। प्रतिकूल परिस्थितियां जीवन में कब दस्तक दे जाएं यह कोई नहीं जानता। ऐसे में जब कोई घटना घटित हो जाए तो हमें क्या करना चाहिए, यह जानना और समझना हमारे लिए बहुत जरूरी है।
धैर्य बनाकर रखें, दिमाग से ले काम
ऐसी घटना किसी के साथ भी हो सकती है, ऐसे में बस जरूरत है तो हमें धैर्य बनाकर दिमाग से काम लेने की। किसी भी साफ सूती कपड़े से चोट वाली जगह को दबा दें, ताकि खून बहना बंद हो जाए। इसके पश्चात मरीज को तुरंत पीजीआईएमएस जैसे किसी बड़े अस्पताल में ले जाएं, जहां पर सर्जन, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट, ब्लड बैंक, आईसीयू व ऑपरेशन थिएटर जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हों, ताकि समय बर्बाद न हो और मरीज की जान को बचाया जा सके।