चंडीगढ़। रामपाल माजरा को इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इसकी घोषणा चंडीगढ़ में इनेलो नेता अभय चौटाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए की। चौटाला ने कहा मैंने इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला और पार्टी के नेताओ से चर्चा कर इनेलो प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी रामपाल माजरा को देने का फैसला हुआ।
उन्होंने कहा कि जब इनेलो पार्टी की स्थापना की गई थी तब से ही रामपाल माजरा ने जननायक चौधरी देवीलाल और चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के साथ मिलकर पूरी लगन और निष्ठा से पार्टी को मजबूत करने का काम किया। इनेलो के प्रति रामपाल माजरा का हमेशा लगाव रहा है। रामपाल माजरा कुछ समय के लिए निष्क्रिय हुए थे लेकिन अब फिर से पार्टी को मजबूत करने के लिए इनेलो के साथ आए हैं। पार्टी के सारे कार्यकर्ताओं की और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला की यह इच्छा थी पार्टी की कमान रामपाल माजरा को सौंपी जाए। आज से हम सभी इनके नेतृत्व में काम करेंगे।
प्रदेश अध्यक्ष की नई जिम्मेदारी मिलने पर रामपाल माजरा ने कहा कि परिवार में कुछ मतभेद हो जाते हैं लेकिन वे कभी भी इनेलो पार्टी से दूर नहीं हुए। वे चौ. देवीलाल के न्याय युद्ध और राजीव लोंगेवाला समझौते के खिलाफ भी शामिल रहे हैं। चौधरी देवीलाल 1982 में बहुमत लेकर आए लेकिन उनकी सरकार नहीं बनने दी गई। हमने तब भी चंडीगढ़ में बड़ा प्रदर्शन किया। अभय चौटाला ने तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ किए गए किसान आंदोलन का पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी की अध्यक्षता में समर्थन किया और उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद मैने भी बीजेपी छोड़ दी और उनका साथ दिया। आज बीजेपी सरकार पारदर्शिता के आधार पर नौकरियां देने और किसान की आय दुगनी करने के बड़े-बड़े दावे करती है।
3 बार विधायक और मुख्य संसदीय सचिव रहे हैं
बता दें कि रामपाल माजरा तीन बार विधायक व मुख्य संसदीय सचिव रहे हैं। माजरा ने राजनीतिक सफर वर्ष 1978 में गांव माजरा नंदकरण के सरपंच से शुरू किया था। वह पहली बार वर्ष 1996 में विधायक बने। इस चुनाव में उन्होंने पाई विधानसभा से समता पार्टी से चुनाव लड़ा और हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार नर सिंह को हराया। वर्ष 2000 में उन्होंने इनेलो की टिकट पर कांग्रेस के तेजेंद्र पाल मान को हराया था, लेकिन वर्ष 2005 के चुनाव में वह मान से हार गए। मजरा ने कलायात विधानसभा चुनाव लड़ा और तेजेंद्रपाल मान को हराकर तीसरी बार विधायक बन गए थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में जयप्रकाश जेपी ने उन्हें हराया था। 2019 में वे इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।