Saturday, November 23, 2024
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बच्चे को खिलाते है दूध-बिस्कुट तो हो जाइए सावधान! इस परेशानी का शिकार हो रहे नन्हे

बच्चों को रात में रोज दूध पीने के लिए देते हैं और आपको महसूस होता है कि बच्चो को कफ, गले में खराश, कब्ज़, खांसी आदि की समस्या है तो आपको तुरंत पीडियाट्रिशियन से संपर्क करने की जरूरत है।

रोहतक। दूध बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए बहुत ही जरूरी है, लेकिन बहुत ऐसे बच्चे हैं जो दूध पीने में आनाकानी करते हैं। ऐसे में मां बाप बच्चों के पसंदीदी बिस्किट, कूकीज और भी कई तरह के बिस्किट का लालच देते हैं। दूध और बिस्किट का कॉम्बीनेश बच्चों को स्वादिष्ट लगने लगता है, ऐसे में बच्चे इसे अपनी आदत बना लेते हैं, फिर बच्चे मांग-मांग पर दूध बिस्किट खाते हैं। इसकी वजह से बच्चों में मिल्क बिस्किट सिंड्रोम हो जाता है और मां बाप को इसकी कानो कान खबर भी नहीं होती है।

वैसे तो बिस्‍कुट सॉफ्ट होते हैं, जो बच्‍चे के मुंह में बहुत जल्‍दी घुल जाते हैं। इनका स्‍वाद एक बार बच्‍चे को लग जाए, तो वह बार-बार इसे खाने की जिद करता है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो अपने छोटे बेबी को भोजन में बिस्‍कुट खिलाते हैं, तो उसका स्‍वास्‍थ्‍य खराब हो सकता है। मिल्क बिस्किट सिंड्रोम को आमतौर पर डॉक्टर दूध और कुकी रोग के रूप में संदर्भित करते हैं। हालांकि इसके लिए और भी खाने की चीज़े जिम्मेदार होती है। इंस्‍टाग्राम पर पीडियाट्रिशियन डॉ.अर्पित गुप्‍ता ने पैरेंट्स को छोटे बच्‍चों को दूध बिस्‍कुट न खिलाने की सलाह दी है। जानते हैं क्‍यों।

डॉ.अर्पित गुप्‍ता कहती है कि बिस्‍कुट बेशक स्वादिष्‍ट लगते हें। लेकिन यह केवल वयस्कों के लिए अच्‍छे हैं। खासतौर से जो लोग छोटे बच्‍चों को दूध में बिस्कुट घोलकर खिलाते हैं, इससे उन्‍हें बाद में तकलीफ हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार, अगर बिस्कुट मैदा, चीनी या फिर एडिटिव्स से बने हैं, तो बच्‍चों को इन्‍हें देना अवॉइड करना चाहिए। इनमे मैदा एक रिफाइंड आटा है, जिसे तैयार करने की प्रतिकया में सारा न्यूट्रिशन और फाइबर निकल दिया जाता है। जिसके बाद ये सिर्फ टेस्टी मगर अनहेल्‍दी स्‍नैक बनकर रह जाता है। अगर छोटे बच्चे को इसे नियमित रूप से खिलाया जाए, तो उसे कब्‍ज हो सकता है।

डॉ.अर्पित गुप्‍ता कहती है कि बिस्कुट जैसे प्रोसेस्‍ड फूड में चीनी बहुत ज्‍यादा मात्रा में होती है। ऐसे में बच्‍चों को बिस्‍कुट देने से दांतों में सड़न और ओबेसिटी की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही उसे चीनी खाने की लत भी लग सकती है। साथ ही कई बेकिंग कंपनीज फूड क्‍वालिटी को बढ़ाने के लिए एडिटिव्स का इस्‍तेमाल करती हैं। बिस्‍कुट बनाते समय भी कई तरह के एडिटिव्स का उपयोग होता है। जिसके बाद इनका टेस्‍ट तो बढ़ जाता है, लेकिन ये बच्‍चों के खाने के लिए बहुत ज्‍यादा हेल्‍दी नहीं रह जाते। लेकिन अगर बच्चों को दूध बिस्किट की आदत है तो वे मिल्क बिल्कुट सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं।

आइए जानते हैं क्या है ये मिल्क बिल्कुट सिंड्रोम-

मिल्क बिस्किट सिंड्रोम

आमतौर पर यह सिंड्रोम अधिक मात्रा वाले प्रिज़र्वेटिव, डेरी प्रोडक्ट्स व अधिक चीनी वाली चीज़ों से होता है। वहीं बिस्कुट में अनहेल्थी फैट्स पाए जाते हैं। अगर सोने से ठीक पहले दूध और बिस्किट का सेवन किया जाता है तो इनमे मौजूद एसिड पेट से भोजन नली में वापस जाकर कभी-कभी गले तक पहुंच जाता है। ऐसे में बच्चों को बड़ों की तरह सीने में जलन की शिकायत नहीं होती। उन्हें अक्सर छाती में कफ जमने, नाक बेहने ,गले में खराश, खांसी आदि समस्याऐं होती है। यह सभी मिल्क सिंड्रोम के लक्षण है।

यदि आप भी अपने बच्चों को रात में रोज दूध पीने के लिए देते हैं और आपको महसूस होता है कि बच्चो को कफ, गले में खराश, कब्ज़, खांसी आदि की समस्या है तो आपको तुरंत पीडियाट्रिशियन से संपर्क करने की जरूरत है। अन्यथा आपके बच्चे को भी डायरिया, वेट गेन, एसिडिटी आदि की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा आइसक्रीम, सोडा, फ्लेवर्ड योगर्ट व सॉफ्ट ड्रिंक आदि से भी बच्चे इस कंडीशन का शिकार बन सकते हैं।

मिल्क बिस्किट सिंड्रोम बीमारी के लक्षण

1. बार-बार दूध-बिस्किट खाने की ज़िद करना

2. खाना खाने के बाद भी दूध-बिस्किट खाने की मांग

3. दुख का सेवन बिना बिस्कीट के न करना

4. पूरा दिन खाने न खाकर सिर्फ दूध और बिस्कुट के लिए ज़िद करना

इस सिंड्रोम से होने वाली समस्याएं

1. दांतों का सड़ना

2. कब्ज़ की समस्याओं का बढ़ना

3. वज़न बढ़ना

4. कम उम्र में डायबिटीज

5. शरीर में इम्युनिटी का कमज़ोर होना

6. अचानक शुगर लेवल का बढ़ना

वक़्त रहते इलाज है ज़रूरी

अगर आपके बच्चे को ऐसी समस्या है या आपको लगता है कि ऐसे लक्षण आपके बच्चे में भी दिख रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें। इस सिंड्रोम से बचाव के लिए आप किसी न्यूट्रीशनिस्ट या डाइटिशियन की भी मदद ले सकते हैं। वो एक डाइट प्लान बनाकर आपको देंगे। ध्यान रहे कि उनके दिए हुए डाइट प्लान के हिसाब से ही बच्चे की डाइट तैयार करें। बच्चे को केवल हेल्थी मील का ही सेवन कराएं इसके साथ ही कुछ दिनों के लिए बच्चे को दूध देना बंद कर दें।

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