यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल के उस बयान के कुछ दिन बाद लिया गया है जिसमें कहा गया था कि चूंकि पंजाब के पास हरियाणा के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है, ऐसे में राज्य में एसवाईएल नहर के निर्माण का कोई सवाल ही नहीं उठता।
न्यायालय ने चार अक्टूबर को केंद्र से कहा था कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे, जो राज्य में एसवाईएल नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था। साथ ही, वहां किस हद तक निर्माण किया गया है, उसका भी आकलन करने को कहा था।
पंजाब विधानसभा सचिवालय के एक नोटिस में कहा गया, पंजाब विधानसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 16 के दूसरे प्रावधान के तहत, अध्यक्ष ने 20 अक्टूबर 2023 को सुबह 11 बजे पंजाब विधानसभा का सत्र बुलाया है। सूत्रों ने बताया कि सत्र में एसवाईएल नहर के अलावा कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
एसवाईएल मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के सामने यह कहकर अपना पक्ष कमजोर कर दिया कि राज्य सरकार ‘‘नहर बनाने के लिए तैयार थी लेकिन विपक्षी दल और किसान इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे।
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एसवाईएल नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना था।
हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे रोक दिया। एसवाईएल पिछले कई वर्षों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।
Satluj Yamuna Link- सतलुज यमुना संपर्क (एसवाईएल) नहर के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद छिड़े राजनीतिक विवाद के बीच पंजाब सरकार ने 20 और 21 अक्टूबर को विधानसभा का दो दिवसीय सत्र बुलाया है।