Saturday, November 23, 2024
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PGI रोहतक का कमाल, बिना चीर फाड़ पोस्टमार्टम करने वाला उत्तर भारत में बना पहला संस्थान

रोहतक के पीजीआई में जहां वर्चुअल ऑटोप्सी के माध्यम से पोस्टमार्टम ‌ किया जाएगा। यहां मोर्चरी में बिना चीरा लगाए शवों का पोस्टमार्टम किया जा सकेगा। विभाग में संस्थान के अलावा स्वास्थ्य विभाग रोहतक, जींद, दादरी, भिवानी, झज्जर, रेवाड़ी आदि से शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं।

रोहतक। PGI रोहतक में आए दिन नए नए कीर्तिमान स्थापित होते रहते है जिस से मेडिकल टेक्नोलॉजी का विस्तार बढ़ता जा रहा है। ऐसा ही हुआ है रोहतक के पीजीआई में जहां वर्चुअल ऑटोप्सी के माध्यम से पोस्टमार्टम ‌ किया जाएगा। यहां मोर्चरी में बिना चीरा लगाए शवों का पोस्टमार्टम किया जा सकेगा।इसे तैयार होने में छह माह से एक साल का समय लगेगा। इस तकनीक से शवों का पोस्टमार्टम देश में सिर्फ गोवा में किया जा रहा है। ऐसा करने वाला‌ पीजीआईएमएस उत्तर भारत में पहला और देश में दूसरा संस्थान बनने जा रहा है।

पीजीआईएमएस के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में संस्थान के अलावा स्वास्थ्य विभाग रोहतक, जींद, दादरी, भिवानी, झज्जर, रेवाड़ी आदि से शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। यहां आने वाले शवों के सीटी स्कैन, एमआरआई व एक्स-रे जांच से उसके बारे में सारी जानकारी का पता लगाया जा सकेगा। इस मोर्चरी को तैयार करने में लगभग 12 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके साथ ही जहर का पता लगाने के लिए केमिकल लैब लगाई जाएगी, इसमें भी खर्च लगभग 50 से 60 लाख रुपये आएगा। मोर्चरी को तैयार करने‌ में लगभग एक साल का समय लग जाएगा।

वर्चुअल ऑटोप्सी करने वाली डॉक्टरों की टीम नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी गांधी नगर, गुजरात में प्रशिक्षण ले चुकी है और इस मामले में 14 व 15 सितंबर को संस्थान में कार्यशाला होनी है। इसके बाद पीजीआईएमएस टीम इस कार्य में पूर्ण रूप से दक्ष हो जाएगी।

डॉक्टरों के अनुसार संस्थान में साल में लगभग सात हजार से अधिक शवों का पोस्टमार्टम होता है । पोस्टमार्टम के बाद शव की हालात काफी इतनी खराब हो जाती थी की सामान्य व्यक्ति इसे देख पाने में भी सक्षम नहीं होता था। अब नई तकनीक से शव का आसानी से पोस्टमार्टम किया जा सकेगा।

वर्चुअल ऑटोप्सी तकनीक से शव में घावों की संख्या, गहराई, लंबाई-चौड़ाई का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। मृतक को कितनी गोलियां लगीं और कहां-कहां लगीं, इसका पता लगाने के साथ उन्हें निकालना भी आसान होगा। जहर से मौत के मामले में उसी हिस्से को निकाला जाएगा जहां इसके प्रमाण मिलेंगे, इससे पूरे शव का चीर फाड़ नहीं किया जाएगा और समय भी बचेगा।

मोर्चरी के निर्माण कार्य को लेकर पीजीआई के फोरेंसिक मेडिसन के विभागाध्यक्ष,डॉ. एसके धत्तरवाल ने बताया की
हमारे यहां दो तल का भवन तैयार है जिसके अंदर की फिनिशिंग का कार्य चल रहा है। इसमें पांच टेबल होंगी और यहां पुलिस, डॉक्टर, स्टाफ व आमजन के लिए वेटिंग हॉल भी होगा। पूरा क्षेत्र बदबूरहित होगा। यहां अब नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट के तहत 80 शव रखने की क्षमता होगी, इसके अलावा शव रखने के लिए चार-चार चैंबर भी होंगे।

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