Sawan Special: सावन का महीना काफी पवित्र होता है ये शिवभक्तों के लिए काफी खास माना जाता है। सावन के महीने में सच्चे दिल से भगवान शिव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। इस महीने में शिव जी के तमाम भक्त कांवड़ भर कर दूर-दूर तक भगवान भोलेनाथ पर गंगाजल चढ़ाने के लिए जाते हैं। क्या आप जानते हैं गंगाजल भरने के लिए अलग-अलग कांवड का इस्तेमाल होता है। आज आपको बताते हैं कि अलग-अलग कांवड के बारें में-
सामान्य कांवड- सामान्य कांवड को लेकर शिवभक्त किसी भी स्थान से जल भरन के लिए ठहर सकते हैं। रात में विश्राम करने के लिए भी रुक सकते हैं। शिव भक्तों को किसी भी नदी से जल लेकर उसे कंधे पर लेकर जाना पड़ता है। सामान्य कांवड़ ले जाने वाले भक्त अपनी कांवड़ को कहीं भी रख सकते हैं। लेकिन इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि जहां पर वो रुके हैं, जहां अन्न-जल ग्रहण कर रहे हैं, वो जगह शुद्ध और साफ-सुथरी हो।
पालकी कावड़- इस तरह की कावड़ में एक पालकी उठाई जाती है जिसमें गंगा जल रखा जाता है। यह भक्त द्वारा प्रदक्षिणा करते समय उठाई जाती है।
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दांडी कांवड़- दांडी कांवड़ लेने जाने वाले शिवभक्त अपने कंधों पर वजन लेकर यात्रा करते हैं। इसमें एक लंबा बंदूक के समान डंडा होता है जिसे भक्त कंधे पर बांध कर ले जाता है। इससे भक्त का मानसिक, शारीरिक और सहन शक्ति का परीक्षण होता है। दांडी कांवड़ लेने वाले भक्त को धैर्य, त्याग और समर्पण की भावना का अनुभव होता है।
मंदिर कांवड़- इस प्रकार की कांवड़ में छोटे लंबे डंडे पर मंदिर या शिवलिंग की प्रतिमा स्थापित की जाती है। भक्त इसे गंगाजल से धो कर और पूजा कर के ले जाते हैं।
डाक कांवड़- डाक कांवड़ लेने वाले भक्त एक यात्रा के दौरान जल नहीं छूते हैं। इसके लिए वो अपने दोनों हाथों में कांवड़ बांध कर यात्रा करते हैं। साथ ही, इस कांवड़ को ले जाने वाले भक्त कहीं रुकते नहीं हैं। वो भागते-भागते ही अपने शिवमंदिरों तक पहुंचते हैं। इसके अलावा, उन्हें एक निश्चित समय तक कांवड़ लानी होती है।
सफेद कांवड़- यह कांवड़ विशेष भक्तों के द्वारा प्रयास किए जाने वाले साधारण लंबे लकड़ी के डंडे पर आधारित होता है। इसको सादे वस्त्र में बांधकर भक्त उठाता है।