Monday, May 6, 2024
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रामलीला मैदान में किसानों की महापंचायत आज, हरियाणा से दिल्ली रवाना हुआ किसानों का जत्था

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किसानों ने एक बार फिर से एमएसपी, कर्जमाफी, बिजली बिल और किसानों को पेंशन संबंधी तमाम मांगों को लेकर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। इसी को लेकर आज फिर संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में हल्लाबोल करने जा रहा है। सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने सोनीपत रेलवे स्टेशन पर भी चौकसी बढ़ा दी है।

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सोनीपत। दिल्ली के रामलीला मैदान में MSP को लेकर एक बार फिर से किसान आंदोलन शुरू होने के संकेत नजर आ रहे हैं। SKM के किसान नेताओं की ओर से सोमवार यानी 20 मार्च को दिल्ली कूच किया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के उपायों को लागू नहीं करने से नाराज हजारों किसान संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आज दिल्ली के प्रतिष्ठित रामलीला मैदान में अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए इकट्ठा हुए हैं।

किसान नेताओं के अनुसार किसानों की भागीदारी उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार से है। किसान एमएसपी देने, बिजली संशोधन अधिनियम को रद्द करने, हाईवे और रेलवे पटरियों तथा दिल्ली की सीमाओं पर विरोध के लिए केंद्र और राज्य पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को खारिज करने और विरोध प्रदर्शन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए केंद्र द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के लिए दबाव डालेंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि किसान एकमुश्त कर्ज को रद्द करने की भी मांग कर रहे हैं क्योंकि बार-बार फसल खराब होने से किसानों की कमर टूट गई है और वे इसे निकट भविष्य में वापस नहीं कर सकते हैं। उनका कहना था कि अगर सरकार अंबानी और अडानी जैसे सुपर-रिच के 11 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को माफ कर सकती है, तो यह उन किसानों को राहत क्यों नहीं दे सकती जो देश का पेट भर रहे हैं? हम मांग कर रहे हैं कि बिजली (संशोधन) अधिनियम को वापस लिया जाए क्योंकि इसमें किसानों को क्रॉस-सब्सिडी खत्म करने का प्रस्ताव है।

क्रॉस सब्सिडी एक ऐसी प्रणाली है जहां बिजली कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों में निवासियों से कम शुल्क लेती हैं और नुकसान की भरपाई वाणिज्यिक उद्यमों जैसी संस्थाओं द्वारा की जाती है। इस प्रावधान के खत्म होने का मतलब है कि किसानों को नलकूपों और अन्य बिजली के उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली बिजली के लिए अधिक भुगतान करना होगा। किसानों के संगठन यह कहते रहे हैं कि फसलों की कम कीमतों, अनिश्चित मौसम और क्षतिग्रस्त फसलों के लिए मुश्किल से कोई मुआवजा दिए जाने से किसान पहले से ही संकट में हैं, पहले से संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र में ऐसी व्यवस्था लागू करने से और अधिक आत्महत्याएं होंगी।

आपको बता दें इस महापंचायत की तैयारियां संयुक्त किसान मोर्चा काफी लंबे समय से कर रहा था। वहीं सोमवार को सोनीपत रेलवे स्टेशन से किसानों का एक जत्था दिल्ली के लिए रवाना हो गया। बता दें कि किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए हरियाणा व दिल्ली पुलिस ने सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं, किसान नेताओं ने कहा कि सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है क्योंकि सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान वायदा किया था कि एमएसपी गारंटी कानून पर जो कमेटी बनाई थी उसमें केवल सरकार के आदमी है किसान कोई भी शामिल नहीं किया गया है और सरकार एमएसपी गारंटी कानून देने से भी बच रही है।

साल 2020-21 में उत्तर भारत के लाखों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर काफी लंबे समय तक तीन कृषि कानून के विरोध में संघर्ष किया और जैसे-जैसे यह संघर्ष लंबा होता गया वैसे-वैसे इस संघर्ष में किसान अपनी कुछ मांगे जोड़ते चले गए। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया और कुछ मांगों पर कमेटी गठन करने का फैसला लिया जिसको लेकर किसान भी सहमत नजर आए।

सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून पर एक कमेटी बनाई जिसको तय करना था कि किन फसलों पर एमएसपी सरकार दे सकती है और किन पर छूट दी जा सकती है। लेकिन सरकार ने जो कमेटी बनाई उसके विरोध में किसान शुरुआत से ही सरकार के खिलाफ एकजुट होते हुए नजर आए। किसानों ने ऐलान किया था कि इसको लेकर दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में एक महापंचायत की जाएगी।

महापंचायत को देखते हुए दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने कुंडली सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं ताकि दिल्ली में कोई भी शरारती तत्व दाखिल ना हो सकें। सोनीपत के रेलवे स्टेशन पर किसानों का एक जत्था रेल में सवार होकर दिल्ली पहुंचेगा, किसानों ने सोनीपत रेलवे स्टेशन पर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार के खिलाफ वादा खिलाफी के आरोप लगाए।

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान नेताओं ने दिल्ली रवाना होने से पहले बताया कि सरकार ने कृषि कानून तो वापस ले लिए थे लेकिन उसके साथ-साथ कुछ वादे किए थे कि जिसमें से एमएसपी गारंटी कानून अहम था। उसके साथ-साथ बिजली बिल-2022 को रद् करना था, लेकिन सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून पर जो कमेटी बनाई उसमें अपने ही आदमी रख लिए। किसानों को शामिल नहीं किया गया और आज हम एक बार फिर दिल्ली में महापंचायत करने जा रहे हैं। जिसमें सरकार के खिलाफ कड़े फैसले लिए जा सकते हैं क्योंकि सरकार किसानों के साथ वादा खिलाफी कर रही है।

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