केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने मंगलवार को कहा कि 2023-24 के वित्तीय वर्ष की अप्रैल-नवंबर अवधि में भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस दौरान, अक्षय ऊर्जा क्षमता 15 गीगावाट तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी है। यह वृद्धि भारत की 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई दिल्ली में आयोजित 5वें सीआईआई अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन और प्रदर्शनी (आईईसीई) को संबोधित करते हुए मंत्री जोशी ने कहा कि भारत न केवल ऊर्जा क्रांति का गवाह बन रहा है, बल्कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख स्थान भी बना रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि भारत अब स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के सबसे आशाजनक देशों में से एक बन चुका है।
मंत्री ने आगे बताया कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल और नवंबर के बीच भारत ने 15 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ी है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान जोड़े गए 7.54 गीगावाट से लगभग दोगुनी है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में 2.3 गीगावाट की नई क्षमता जोड़ी गई, जो नवंबर 2023 में जोड़े गए 566 मेगावाट से चार गुना अधिक है।
जोशी ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म आधारित क्षमता हासिल करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि इस दिशा में भारत ने पहले ही कई अहम कदम उठाए हैं। इसके अतिरिक्त, सौर पैनलों और मॉड्यूल के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 24,000 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना भी शुरू की गई है।