लुधियाना, इस समय पूरे पंजाब में धान की कटाई जोरों पर चल रही है। किसान धान बेचने के लिए अनाज लेकर मंडियों में जा रहे हैं, लेकिन पंजाब के कई इलाकों में किसान खेतों में पराली को आग लगा रहे हैं, जिससे काफी प्रदूषण फैल रहा है। इस प्रदूषण को रोकने के लिए पंजाब सरकार के कृषि विभाग की ओर से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
किसानों को पराली में आग न लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। अगर फिर भी कोई कानून का उल्लंघन करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जा रहा है। उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है और रेड इंट्री भी लगाई जा रही है। लुधियाना में भी अब तक करीब 114 खेतों में आग लगाने के मामले सामने आए हैं, लेकिन ज्यादातर में मौका देखकर कार्रवाई की गई, इसलिए वहां आग नहीं लगाई गई।
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी प्रकाश सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष इस तिथि तक आगजनी के 634 मामले सामने आये थे, लेकिन इस बार इसमें 82 फीसदी की कमी आयी है. उन्होंने कहा कि चूंकि अब गेहूं की बुआई का समय है और डीएपी की समस्या आ रही है, ऐसे में किसान एनपीके और टीसीपी नये उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं।
कृषि अधिकारी ने बताया कि पूरे पंजाब में 1 टन से ज्यादा डीएपी की कमी है, अगर लुधियाना की बात करें तो लुधियाना में भी 45 फीसदी डीएपी की कमी है, लेकिन फिर भी प्रशासन डीएपी विक्रेताओं पर कड़ी नजर रख रहा है ताकि कोई डीएपी की ब्लैक न कर सके।