पराली प्रबंधन के लिए पंजाब में 2 साल के दौरान 8 नए बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे। इन प्लांटों की योजना लगभग तैयार हो चुकी है। सिर्फ स्थान तय होना बाकी है। इन प्लांटों में पराली की खपत हर साल 2.92 लाख टन से 3.20 लाख टन तक होगी. किसानों को पराली का पैसा भी मिलेगा, पराली से जैविक खाद भी बनेगी।
पंजाब में हर साल 30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती होती है। इसमें सबसे बड़ी समस्या भूसे की है। एक अनुमान के मुताबिक, राज्य में हर साल 20 मिलियन टन पराली जलाई जाती है। इसमें अधिकतर किसान पराली को आग लगाकर जला देते हैं। हर साल किसानों को पराली जलाने पर एफआईआर, छापेमारी और जुर्माने का सामना करना पड़ता है लेकिन ये बायोगैस प्लॉट किसानों के लिए बड़ी राहत साबित होंगे।
किसान इस खाद का उपयोग जैविक खेती के लिए कर सकते हैं। ये परियोजनाएं भारत की अग्रणी कंप्रेस्ड बायोगैस डेवलपर एवर एनवायरो कंपनी द्वारा विकसित की जाएंगी। यह कंपनी पहले ही धूरी और पातर में दो बायोगैस प्लांट बना चुकी है। प्रति प्लांट 14 टन सीबीजी और आरएनजी का उत्पादन किया जाएगा। कंपनी ने 5 साल में देशभर में 100 बायोगैस प्लांट बनाने का फैसला किया है।
पंजाब, नगर निगम कर्मी के नाम पर ली रिश्वत, व्यक्ति गिरफ्तार
पंजाब में 2 साल में 8 नए सीबीजी प्लांट लगाने की तैयारी है। ये संयंत्र प्रतिदिन 14 टन सीबीजी और आरएनजी का उत्पादन भी करेंगे। यह प्लांट 2 साल में तैयार होने की संभावना है. इससे जहां पराली की खपत होगी, वहीं हर साल 25 हजार टन जैविक खाद का उत्पादन होगा और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
कंपनी ने 30 दिनों के भीतर किसानों के खेतों से पराली का प्रबंधन करने के लिए एक ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) मॉडल विकसित किया है। पंजाब में 104 वीएलई तैयार किए जाएंगे। वे भुगतान करके किसानों से पराली खरीदेंगे। धान के भूसे की गांठें बनाकर वाहनों पर लोड कर कंपनी को सौंप दिया जाएगा। इससे पंजाब को जैविक खाद से भी राहत मिलेगी।