पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दलील दी गई है कि पंजाब के निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित होने के बावजूद एक भी छात्र को दाखिला नहीं दिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए पंजाब सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।
याचिका दायर करते हुए अमृतसर निवासी सतनाम सिंह ने वकील आशु राणा के माध्यम से हाई कोर्ट को बताया कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि प्राप्त आंकड़ों और विधानसभा में पेश की गई जानकारी के मुताबिक पूरे पंजाब में एक भी छात्र को इस कोटे का लाभ नहीं मिला है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि नियमों के मुताबिक इस कोटे का लाभ तभी मिल सकता है, जब सरकारी स्कूल में सीटें नहीं बची हों। सरकारी स्कूल से एनओसी मिलने के बाद ही प्राइवेट स्कूल में कोटे के तहत आवेदन किया जा सकता है।
अनार से पाये ग्लोइंग स्किन हर कोई पूछेगा सीक्रेट
इस स्थिति के कारण, निजी स्कूलों में कोटा होने और कानून में प्रावधान होने के बावजूद बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल रहा है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील की है कि निजी स्कूलों को 25 फीसदी सीटें ईडब्ल्यूएस कोटे से भरने का आदेश दिया जाए।
साथ ही सरकार को नियमों में संशोधन करने का आदेश दिया जाए और एनओसी की शर्त खत्म की जाए। इससे आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चे भी निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का लाभ उठा सकेंगे। याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।