Saturday, May 18, 2024
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कुत्ते के काटने से हवा-पानी और रोशनी से डरने लगा युवक, रेबीज संक्रमित मरीज PGI रोहतक रेफर

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पानीपत। कुत्ते के काटने के बाद एक 25 साल का युवक अचानक हवा-पानी और रोशनी से डरने लगा। इलाज के लिए सिविल अस्पताल पहुंचा तो उसे पता चला कि वह रेबीज रोग से संक्रमित हो चुका है। सबसे बड़ी बात तो यह थी देश में रेबिज का इलाज न होने के चलते उसे आगामी दवाइयों के लिए रोहतक PGI रेफर कर दिया गया। मामला हरियाणा के पानीपत का है।

बड़ी बात है कि इस सप्ताह में रेबीज से ग्रस्त पिछले 10 दिन में यह दूसरा मामला सिविल अस्पताल पहुंचा है। जिसके कारण रेबीज जैसी बीमारी का डर बढ़ गया है। बता दें कि रेबीज इतनी खतरनाक बीमारी है कि इससे मरीज की मौत होनी तय है। अक्सर कहा जाता है कि रेबीज में मरीज जानवरों की तरह हरकत करने लगता है, इस बात की सच्चाई सिविल अस्पताल में पहुंचे पेशेंट में दिखाई दी।

सिविल अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में खड़ा रेबीज संक्रमित मरीज

प्राइवेट अस्पताल में लगवाए दो इंजेक्शन

मिली जानकारी के अनुसार, सूरज सेक्टर 18 का रहने वाला है। जोकि 2 बच्चों का पिता भी है। बीते दो माह पहले उसे एक गली में कुत्ते ने काट लिया था। उसने उस वक्त कोई इलाज नहीं करवाया था। न ही वैक्सीन लगवाई थी। लेकिन, जिस जगह पर कुत्ते ने काटा था, उस जगह धीरे-धीरे घाव होता गया। घाव बहुत ज्यादा बढ़ गया। इसके बाद वह एक निजी अस्पताल गया। जहां उसे दो इंजेक्शन लगाए गए। लेकिन, इससे उसे आराम नहीं आया। अब उसके शरीर में रेबीज बीमारी पैदा हो गई। जिसके बाद उसे पानी, हवा, रोशनी से डर लगने लगा। यहां तक कि वह कभी भी कुत्ते की आवाज निकालने लगता है। जिसके बाद परिजन उसे सिविल अस्पताल ले पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने उसे रोहतक PGI रेफर कर दिया।

मरीज ने नहीं लगवाया रेबीज का इंजेक्शन 

जानकारी देते हुए डॉ. अंकुर खन्ना ने बताया कि इस केस में मरीज को रेबीज के इंजेक्शन नहीं लगे हुए थे। जो दो इंजेक्शन लगवाए हैं, उनमें रेबीज संबंधित कोई भी इंजेक्शन नहीं था। इस मरीज की शुरुआती जांच में यह पाया गया कि इसे रेबीज के लक्षण थे। आज तक की रिसर्च में यही पता लगा कि रेबीज का कोई इलाज नहीं है। ये किसी को भी एक बार हो जाए, तो 100 प्रतिशत रोगी की मौत ही संभव है। इसलिए मरीज से दूरी बनाए रखने में ही सावधानी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रेबीज इतनी खतरनाक बीमारी है कि इससे मरीज की मौत होनी तय है।

रेबीज के बाद होता है हाइड्रोफोबिया

एक रिसर्च के मुताबिक इन 6 सालों में देश में कुत्ते के काटने के के सेस बढ़े हैं। अगर इसका इलाज शुरुआत में ही नहीं किया जाएगा या एंटी रेबीज इंजेक्शन टाइम पर न दिया जाएगा तो बहुत ही जल्दी में रेबीज मरीज के खून तक पहुंच जाता है। जिन कुत्तों को टाइम पर वैक्सीनेशन नहीं पड़ता है वह काफी खतरनाक हो जाते हैं और उनसे रेबीज फैलने के चांसेस बढ़ जाते हैं। डॉक्टर के मुताबित अगर किसी रेबीज संक्रमित कुत्ते ने किसी इंसान को काट लिया है तो कुछ दिनों पर मरीज में जानवरों की तरह लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सबसे बड़ा लक्षण होता है कि मरीज को पानी से डर लगने लगता है। इसे हाइड्रोफोबिया कहते हैं। इसमें मरीज पानी से दूर भागने लगता है। कुछ लोग पानी कम या बिल्कुल भी नहीं पीते हैं। पानी देखते ही गुस्सा होने लगता है। पानी को छूने से डरता है। इन सब के अलावा बेवजह गुस्सा, चिड़चिड़ाहट , बुखार और उल्टियां होने लगता है।

रेबीज का वायरस इंसान के खून में जाता है

डॉक्टर बताते हैं कि जब रेबीज का वायरस इंसान के खून में जाता है तो उसे इरिटेशन या यूं कहें कि परेशानी होने लगता है। सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन होने लगती है। कभी-कभी जो मरीज की देखभाल करने आता है वह ऐसी हरकत करता है कि उससे डरकर भागने लगता है। पानी से बहुत डरने लगता है। यह तो सच है कि रेबीज होने के बाद मरीज की हरकत काफी ज्यादा बदल जाती है। यह बीमारी मरीज के ब्रेन तक पहुंचने में वक्त नहीं लगाता है। वह अलग तरीके से चिल्लाता या रोता है।इस बीमारी का खतरनाक असर ब्रेन पर होता है जिसके कारण मरीजा का बिहेवियर को कुत्ते से जोड़कर देखा जाता है।

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