Thursday, May 8, 2025
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बुद्ध पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने हर दुखों का होगा निवारण

Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में बहुत अधिक महत्व है. बुद्ध पूर्णिमा का दिन भगवान बुद्ध के जन्म, उनके निर्वाण और उनके पहले उपदेश देने के दिन के रूप में मनाया जाता है. इस साल 12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. बुद्ध पूर्णिमा के दिन का महत्व इसलिए और अधिक होता है क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. ये शुभ योग पूजा और अनुष्ठानों के लिए उत्तम माना जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है.

Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा पर शुभ योग 

इस साल बुद्ध पूर्णिमा पर तीन शुभ योग पड़ रहे हैं. रवि योग  12 मई 2025 को प्रातः 05 बजकर 32 मिनट से लेकर 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. इस समय में भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करना विशेष लाभकारी माना जाता है. दूसरा योग भद्रावास योग 12 मई को प्रातः 05 बजे से लेकर प्रातः 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इस योग में कोई भी शुभ कार्य जैसे पूजा, व्रत या मांगलिक कार्य करना विशेष फलदायक माना जाता है. वहीं तीसरा योग वरीयान योग 12 मई 2025 को प्रातः  05:00 बजे से लेकर 13 मई प्रातः  05:52 तक रहेगा. वरीयान योग में विशेष पूजा और साधना करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है.

इस विधि से करें पीपल के पेड़ की पूजा 

  • बुद्ध पूर्णिमा के दिन सबसे पहले ताजे पानी से स्नान करें और शुद्धि की भावना से मन और शरीर को साफ करें.
  • पूजा के लिए सबसे पहले एक शुद्ध, स्वस्थ और हरा-भरा पीपल का पेड़ चुनें. अगर घर में पीपल का पेड़ नहीं है, तो नजदीकी मंदिर या पवित्र स्थान पर जाएं जहां पीपल का पेड़ हो.
  • पीपल के पेड़ के नीचे या उसके आस-पास एक साफ स्थान पर आसन बिछाकर बैठें और वहां दीपक, अगरबत्ती, फूल और चंदन रखें.
  • पीपल के पेड़ की जड़ में शुद्ध जल का छिड़काव करें. यह पेड़ के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाता है.
  • पीपल के पेड़ के नीचे दीपक और अगरबत्ती लगायें. यह वातावरण को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.
  • पीपल के पेड़ पर ताजे फूल चढ़ाएं, खासकर सफेद और पीले रंग के फूल. ये शुभ फल प्रदान करते हैं और समृद्धि लाते हैं.
  • पीपल के पेड़ की पूजा करते समय भगवान बुद्ध की पूजा करें और विशेष रूप से “ॐ मणि पद्मे हूँ” का मंत्र जाप करें. यह मंत्र शांति और समृद्धि का प्रतीक है.
  • पीपल के पेड़ के नीचे दूध, शहद, घी और पानी का मिश्रण चढ़ायें. यह विशेष रूप से बुद्ध पूजा के लिए शुभ होता है.
  • पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए एक बर्तन में पानी और फूल डालकर उसे चंद्रमा की ओर उछालें. यह चंद्र देव की कृपा प्राप्त करने का एक तरीका है.
  • महिलाओं को इस दिन व्रत का संकल्प लेकर, चंद्र दर्शन के बाद पारण करना चाहिए. यह व्रत संतान सुख और दीर्घायु की प्राप्ति के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है.

 

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