Akshaya Tritiya puja vidhi: अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म और जैन धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है. इस दिन किसी भी कार्य की शुरुआत करना शुभ माना जाता है. ‘अक्षय’ का अर्थ है ‘कभी कम न होने वाला’ और ‘तृतीया’ का अर्थ है ‘तीसरा दिन’. यह वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल 30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा. कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष रुप से पूजा करने का प्रावधान है.
Akshaya Tritiya puja vidhi: अक्षय तृतीया के दिन इस विधि से पूजा
- अक्षय तृतीया के दिन प्रात:काल उठकर स्नान आदि के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहन लें
- इसके बाद पूजा घर या मंदिर की सफाई कर लें और गंगाजल छिड़क दें.
- अब एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.
- चौकी पर मां लक्ष्मी और विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
- देवी लक्ष्मी और विष्णु नारायण की मूर्ति पर कुमकुम, चंदन लगाएं और फिर धूप-दीपक जलाएं.
- मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को फल, फूल, पान-सुपारी, तुलसी और मिठाई-भोग अर्पित करें.
- आखिर में लक्ष्मी माता और विष्णु की आरती करें. फिर मंत्रों का जाप करें.
इन मंत्रों का करें जाप
- पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्
- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:
- श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः
- ॐ क्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं पूरये, धनं पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:
- ॐ श्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेव नमः
- ॐ नमो नारायणाय
- ॐ विष्णु विष्णु भगवान विष्णु:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः: