World Suicide Prevention Day : प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या निवारण दिवस अथवा विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस, लोगों के भीतर इस बात की जागरूकता पैदा करता है कि ‘आत्महत्या (Suicide)’ जीवन की समस्याओं का समाधान नहीं है।
लाखों लोग गंभीर दर्द से पीड़ित हैं और वे आत्मघाती कदम उठाकर अपना जीवन समाप्त करना पसंद करते हैं। इस वर्ष का विषय : “Changing the Narrative on Suicide/ आत्महत्या पर सोच बदलें” हैंI
भारत में हर साल आत्महत्या के बढ़ते मामले एक चिंता का विषय है। एनसीबीआर की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत के 1.64 लाख से ज्यादा लोग हुए आत्महत्या करने को मज़बूर हुए। आत्महत्या करने वालों में लगभग 1.19 लाख पुरुष, 45026 महिलाएं और 28 ट्रांसजेंडर थे। इनमें सबसे ज्यादा युवा शामिल थें। वर्ष 2021 में आत्महत्या करने वालों कि संख्या, वर्ष 2020 के मुकाबले 7.2 फिसदी अधिक हैI
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO)) के साथ इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (International Association for Suicide Prevention ) ने 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाने का फैसला किया। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मिलकर एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश ‘आत्महत्याओं को रोका जा सकता है’ देने के लिए इस दिन को मनाने की शुरुआत की। वर्ष 2003 में, विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने की शुरुआत की गई थीI
इस दिवस का महत्व
- आत्महत्या को रोकने के उपायों के बारे में लोगों को शिक्षित और जागरूक करना ।
- आत्महत्या से जुड़े कलंक को कम करना और एक सहायक वातावरण बनाना ।
- मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम के बारे में चर्चा को बढ़ावा देना ।
आत्महत्या के कारण और आंकड़े
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवा देते हैं ।
- भारत में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है ।
- आत्महत्या के पीछे मुख्य कारणों में मानसिक बीमारियां, पारिवारिक समस्याएं, वित्तीय तनाव और सामाजिक दबाव शामिल हैं ।
आत्महत्या रोकथाम के लिए कदम
- मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना और मानसिक बीमारियों का इलाज करना
- आत्महत्या के बारे में खुलकर बात करना और सहायक वातावरण बनाना
- जरूरतमंद लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर और काउंसलिंग सेवाएं प्रदान करना
इस दिवस का उद्देश्य लोगों को आत्महत्या के प्रति जागरूक करना और उन्हें इसके बारे में शिक्षित करना है, ताकि आत्महत्या के मामलों को रोका जा सके ।
डॉ सिद्धार्थ आर्य एसोसिएट प्रोफेसर, मनोरोग विभाग, पीजीआईएमएस, रोहतक ने बताया कि आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी होने के कारण आमजन अकेलेपन व तनाव में रहने लगे हैं। जिसके चलते वह कई बार आत्महत्या जैसे कड़े कदम उठा लेता है। ऐसे में आत्महत्या जैसी घातक प्रवृत्तियों को रोकने के लिए लोगो में जागरूकता का होना बहुत जरूरी है।
डॉक्टर आर्य ने बताया कि तनाव तथा अवसाद से दूर रहने के लिए शारीरिक व्यायाम जेसे योगा व उचित खानपान जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिंदगी ईश्वर का दिया हुआ एक बेशकीमती उपहार है, हमें ऐसे ही जिंदगी बर्बाद नहीं करनी चाहिए तथा आत्महत्या से संबंधित आपात स्थिति में आप ही उपचार कर सकते हैं, जैसे ऐसे व्यक्ति को गंभीरता से लें, उनकी बातें ध्यान से सुने व उनके भावनाओं की कद्र करें, उन्हें विश्वास दिलाएं कि यह जो समस्याएं हैं वह अस्थाई है और इनका उपचार हो सकता है। ऐसे व्यक्ति को कभी भी अकेला ने छोड़े तथा नुकीली व खतरनाक चीजों से दूर रखें।
डॉक्टर रित्विक गुप्ता, सीनियर रेजिडेंट, मनोरोग विभाग, रोहतक ने आत्महत्या से जुड़े तथ्यों के बारे में बताते हुए कहा कि अगर आप के आस पास कोई ऐसा शख्स है जो तनाव से गुजर रहा है तो उसमें कुछ चेतावनी के संकेत देखे जा सकते हैं, जैसे कि मृत्यु को लेकर बार-बार बोलना, दुनियादारी से अलग-थलग महसूस करना, जीवन एक बोझ जैसे शब्दों का प्रयोग करना, वसीयत आदि।
डॉक्टर रित्विक गुप्ता ने बताया कि डिप्रेशन की प्रारंभिक पहचान और प्रभावी उपचार आत्महत्या को काफी हद तक कम कर सकता है। ऐसे व्यक्तियों को संवेदनशील तरीके से उपचार के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है तथा आपका थोड़ा सा सहयोग किसी के लिए जीवन रक्षक हो सकता है।
डॉक्टर पुरुषोत्तम, प्रोफेसर, मनोरोग विभाग, पी जी आई ऍम एस, रोहतक ने कहा कि समय-समय पर मानसिक रोग विशेषज्ञ एवं मनोवैज्ञानिक की सलाह लेनी चाहिए, जिस पर चिकित्सकों के साथ-साथ परिवार व समाज को भी जागरूक होना होगा ताकि किसी के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सके।
डॉक्टर पुरुषोत्तम ने बताया कि जब लोग तनावपूर्ण स्थिति में होते हैं तो वह यह भूल जाते हैं कि किसी समस्या को हल करने और अपने तनाव से निपटने के अन्य भी तरीके वह साधन हो सकते हैं तथा व्यक्तियों को अपने जीवन और उस तनावपूर्ण स्थिति को लेकर निराश नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर किसी की तनाव है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें आत्महत्या के बारे में सोचना चाहिए हर समस्या का समाधान है इसलिए हमें समाधान पर विचार करते हुए कभी भी आत्महत्या के बारे में अपने मन में विचार नहीं लाना चाहिए। उन्होंने बताया कि किसी को यदि कोई समस्या है तो वह उन्हें प्रतिदिन मनोरोग विभाग, पी जी आई ऍम एस, रोहतक में आकर मिल सकता है।