Friday, April 18, 2025
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World Hemophilia Day : जानिए-हीमोफीलिया रोग के लक्षणों, कारणों और उपचार के बारे में

पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक (PGIMS Rohtak) के हीमोफीलिया विभाग में विश्व हीमोफीलिया दिवस (World Hemophilia Day) की पूर्व संध्या पर नर्सिंग की छात्राओं ने एक जागरूकता अभियान चलाया और पोस्ट के माध्यम से आमजन को हीमोफीलिया के बारे में जागरूक किया।

डॉ अलका यादव ने बताया कि हर वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष
इस वर्ष, 2025, विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम है ” सभी के लिए पहुँच: महिलाओं और लड़कियों को भी रक्तस्राव होता है “। यह थीम रक्तस्राव विकारों से पीड़ित लड़कियों और महिलाओं के लिए बेहतर निदान और उपचार की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, जिन्हें अक्सर कम निदान किया जाता है।

डॉ अल्का ने बताया कि इसी थीम को ध्यान में रखते हुए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसे हीमोफिलिया सोसाइटी करनाल वूमेन ग्रुप की ट्रेज़रर द्वारा नर्सिंग और एमबीबीएस छात्रों के सहयोग से संपन्न किया गया। यह कार्यक्रम हीमोफिलिया डे केयर सेंटर में आयोजित हुआ, जिसका उद्देश्य खासतौर पर महिलाओं और लड़कियों में होने वाले रक्तस्राव संबंधी विकारों के प्रति जागरूकता फैलाना था।

नर्सिंग कालेज की छात्राओं ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और रचनात्मक एवं सूचनाप्रद पोस्टर्स के माध्यम से हीमोफिलिया के लक्षणों, कारणों और उपचार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया हीमोफीलिया एक दुर्लभ बीमारी है। महिलाओं और लड़कियों को रक्तस्राव को अनदेखा नहीं करना चाहिए और इसकी जांच करानी बहुत जरूरी है। हीमोफिलिया रक्तस्राव की एक आनुवांशिक बीमारी है, जो रक्त के थक्के बनाने के लिए जरूरी कुछ कारकों की कमी के कारण होता है। हीमोफीलिया के मरीज का खून सामान्य लोगों से ज्यादा बहता है। जरा सी चोट लगने पर गंभीर ब्लीडिंग होने लगती है। जिसके कारण मरीज को काफी परेशानियां हो सकती है।

पोस्टर्स में यह भी दर्शाया गया कि महिलाएं और लड़कियां भी इस रोग से प्रभावित हो सकती हैं, जो अक्सर अनदेखी रह जाती हैं। सीनियर नर्सिंग अफसर सुनीता ने लाइव डेमो के माध्यम से नर्सिंग छात्रों को फैक्टर VIII इंजेक्शन देने की प्रक्रिया को दिखाया। यह प्रायोगिक सत्र छात्रों के लिए अत्यंत शिक्षाप्रद रहा और उन्हें व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।

हीमोफीलिया के मरीज का खून सामान्य लोगों से ज्यादा बहता है। जरा सी चोट लगने पर गंभीर ब्लीडिंग होने लगती है। जिसके कारण मरीज को काफी परेशानियां हो सकती है।

डॉ. अल्का ने हीमोफिलिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी, जिसमें इसके चिकित्सीय और सामाजिक पहलुओं को समझाया गया। हीमोफीलिया एक दुर्लभ बीमारी है। उन्होंने समय पर निदान, नियमित उपचार और महिलाओं व लड़कियों में इस रोग की पहचान की आवश्यकता पर विशेष बल दिया।

आचार्य शकुंतला देवी ने बताया कि यह कार्यक्रम शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी का बेहतरीन उदाहरण रहा। छात्रों ने इसे एक सार्थक अनुभव बताया और भविष्य में भी ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने बताया की कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों और अतिथियों को रिफ्रेशमेंट प्रदान किए गए। सभी ने कार्यक्रम की सराहना की और इसे एक सफल आयोजन बताया।

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