पवन कुमार बंसल : किस्सा पुराना है। यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त किए गए जगन्नाथ पहाड़िया हरियाणा के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करके विदा हो गए और उनकी जगह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सिफारिश पर आरएसएस तथा भाजपा की पृष्ठभूमि के कप्तान सिंह सोलंकी को नया राज्यपाल लगाया गया है। ये नियुक्ति ऐसे नाजुक समय में हुई है कि नया राज्यपाल की भूमिका को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। वैसे राजनीतिक हलकों में ये भी कहा जा रहा है कि जाते-जाते जगन्नाथ पहाड़िया ने जिस तरह से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दबाव में कई संवैधानिक संस्थाओं की नियुक्ति की फाइल देर शाम को जल्दबाजी में निकाली उससे वे अपनी फजीहत करवा गए।
हुड्डा ने पहाड़िया की बेटी को सरकार में एक पद देकर पहले ही उनके परिवार को काबू में कर लिया था। पहाड़िया एक बार उस समय भी चर्चा में आए थे जब उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में हुड्डा के पिता रणवीर सिंह की याद में आयोजित एक समारोह में भाषण देते हुए हुड्डा की तारीफ में पुल बांधे थे। संवैधानिक पद की गरिमा को ताक में रख कर पहाड़िया ने हुड्डा के उन विरोधियों को जो उनके विकास के दावे को चुनौती देते थे, चुनौती देते हुए कहा था कि वे हरियाणा में विकास देखें तो उनकी आंखें खुली रह जाएंगी। खानपुर महिला यूनिवर्सिटी की कुलपति डा पंकज मित्तल के मामले में भी उन्होंने सरकार के दबाव में अपनी फजीहत करवाई।
मित्तल यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन से डेपुटेशन पर आई थी। उनके डेपुटेशन की अवधि खत्म होने पर यूजीसी ने राज्यपाल को लिखा कि चूंकि हमारे यहां स्टाफ की कमी है इसलिए डा मित्तल को तुरंत वापस भेजा जाए लेकिन पहाड़िया सरकार के दबाव में फाइल को दबाए बैठे रहे। अब आनन-फानन में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पत्नी आशा हुड्डा की करीबी आशा कादियान की नियुक्ति की फाइल को मंजूरी दे दी। पहाड़िया ने हुड्डा पर दबाव डाल कर हेल्थ यूनिवर्सिटी रोहतक के कुलपति डा एस एस सांगवान से एमबीबीएस के किसी क्षेत्र के माइग्रेशन कराने की भी कोशिश की थी लेकिन डा सांगवान ने उसे नियमों के खिलाफ बताते हुए नहीं किया था।