Wednesday, September 17, 2025
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Vanar Devta : इस गाँव बंदर को मानते है भगवान्, इस मंदिर मनोकामना होती है पूरी, जानिए मंदिर का इतिहास

Vanar Devta : धर्माराम गांव में वानर देवता की पूजा एक ऐसी परंपरा है जो धार्मिक आस्था और स्थानीय संस्कृति का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करती है। निर्मल जिले के लक्ष्मणचंदा मंडल में स्थित यह गांव धार्मिकता और लोककथाओं का अनोखा केंद्र बन गया है, जहां ग्रामीण एक बंदर को भगवान के रूप में पूजते हैं।

वानर देवता का मंदिर और इतिहास

1978 में स्थापित वानर देवता का मंदिर दशकों पुरानी एक अनोखी कहानी से जुड़ा है। ग्रामीणों के अनुसार, यह परंपरा एक बंदर की उपस्थिति से शुरू हुई, जो गांव में आकर पौराणिक कथाओं को सुनता और बाद में अपनी हरकतों से चर्चा का विषय बना। इस बंदर की मृत्यु के बाद, ग्रामीणों ने उसकी कब्र से एक नई मान्यता की शुरुआत की और उसे भगवान का दर्जा देकर पूजा करना शुरू कर दिया।

मंदिर का निर्माण और विस्तार

वानर देवता के प्रति आस्था के चलते ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर मंदिर का निर्माण किया। यहां वानर देवता की मूर्ति के साथ शिवलिंग और नंदी की मूर्तियां भी स्थापित की गईं। भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर में स्नानघर और कमरे जैसी सुविधाएं जोड़ी गईं, जिससे यह स्थान एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन गया।

वार्षिक मेला और उत्सव

हर साल दिसंबर में यहां लगने वाला मेला भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। वानर देवता का अभिषेक, रथोत्सव, और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस उत्सव का हिस्सा होते हैं। आदिलाबाद, निर्मल, मंचिरयाला, और करीमनगर जिलों के साथ-साथ महाराष्ट्र से भी भक्त इस उत्सव में भाग लेने आते हैं।

धार्मिक और सामाजिक महत्व

यह स्थान न केवल त्योहारों के समय बल्कि सामान्य दिनों में भी आस्था का केंद्र बना रहता है। वानर देवता के प्रति श्रद्धा और भक्ति ने धर्माराम गांव को एक पहचान दी है। यह परंपरा ग्रामीणों के सामूहिक विश्वास, उनकी सांस्कृतिक धरोहर, और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

धर्माराम गांव का यह मंदिर धार्मिक पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है, जहां आस्था और परंपरा का अनुपम संगम देखने को मिलता है।

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