Friday, April 25, 2025
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मातृ और शिशु के मृत्यु अनुपात में आई गिरावट, जीवनदायिनी बनी एंबुलेंस सेवा 108 और 102

UP News : योगी सरकार के प्रयासों से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं उत्तम स्वास्थ्य सेवाओं के रूप में उभर कर सामने आयीं हैं। इसमें एंबुलेंस सेवा 108, 102 और एएलएस प्रदेशभर के मरीजों के लिए जीव दाायिनी साबित हुई है।

पिछले आठ वर्षों में योगी सरकार की एंबुलेंस सेवाओं ने 13 करोड़ 26 लाख से अधिक मरीजों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को आपातकालीन परिस्थितियों में समय पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध करा उन्हे संकट की घड़ी से उभारा है। यही वजह है कि प्रदेश में पिछले आठ वर्षों में मातृ और शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट दर्ज की गयी है। इतना ही नहीं इन एंबुलेंस सेवा के रिस्पांस टाइम में खासा सुधार हुआ है।

 9 करोड़ से अधिक लोगों ने उठाया 102 एंबुलेंस सेवा का लाभ

एनएचएम की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि सीएम योगी के नेतृत्व में वर्तमान में प्रदेशभर में आकस्मिक परिस्थितियों, गंभीर मरीजों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के लिए कुल 4,845 एंबुलेंस संचालित की जा रही हैं। इसमें 102 एंबुलेंस सेवा में 2,270, एएलएस एंबुलेंस सेवा में 375 और 108 एंबुलेंस सेवा में 2,200 एंबुलेंस शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों में एंबुलेंस सेवा 108 (इमरजेंसी मेडिकल ट्रांसपोर्ट सर्विसेज) द्वारा आकस्मिक परिस्थितियों में 3,57,24,745 मरीजों को सहायता प्रदान की गयी है। सेवा का सबसे बड़ा लाभ इसका रिस्पांस टाइम है, जिसे योगी सरकार ने वर्ष 2014 के 28.12 मिनट से घटाकर 2025 में मात्र 7.25 मिनट कर दिया गया है। वहीं गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए एंबुलेंस सेवा 102 (मदर एंड चाइल्ड सर्विसेस) किसी वरदान से कम नहीं है। पिछले आठ वर्षों में 102 एंबुलेंस सेवा के जरिये 9,62,48,151 रोगियों को लाभ पहुंचाया गया है। इसी सेवा का वर्ष 2014 में जहां औसत रिस्पांस टाइम 19.10 मिनट था, वहीं 2025 तक इसे घटाकर 6.58 मिनट कर दिया गया।

एंबुलेंस सेवा 102 से मातृ एवं शिशु मृत्यु अनुपात में आयी कमी

योगी सरकार की एंबुलेंस सेवा 102 मातृ एवं शिशु मृत्यु अनुपात को कम करने में अहम भूमिका निभा रही है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) के अनुसार वर्ष 2015-17 में प्रदेश की मातृ मृत्यु अनुपात 216 प्रति लाख दर्ज की गयी थी, जो कम हो करके वर्ष 2018-20 में 167 प्रति लाख पहुंच गयी है। इसी तरह वर्ष 2016 में प्रदेश की शिशु मृत्यु अनुपात 23 प्रति हजार दर्ज की गयी थी, जो कम हो करके वर्ष 2022 में 21 प्रति हजार पहुंच गयी है। मिशन निदेशक ने बताया कि सरकार द्वारा हर दो साल पर एसआरएस सर्वे कराया जाता है। वहीं वर्ष 2020 के बाद अब तक एसआरएस सर्वे की रिपोर्ट नहीं आयी है। उन्होंने बताया कि पिछली सर्वे रिपोर्ट और बेहतर 102 एंबुलेंस सेवा से यह निश्चित है कि आने वाली रिपोर्ट में और भी मृत्यु अनुपात में कमी का आंकड़ा सामने आएगा।

एएलएस एंबुलेंस सेवा का रिस्पांस टाइम हुआ 6.31 मिनट

प्रदेश में 250 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस (एएलएस) सेवा द्वारा 7,14,552 अति गंभीर मरीजों को लाभ पहुंचाया गया है। वहीं हाल ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएलएस एंबुलेंस सेवा में 125 नयी एंबुलेंस को शामिल किया है। इसी सेवा का वर्ष 2014 में जहां औसत रिस्पांस टाइम 30 मिनट था, वहीं 2025 तक इसे घटाकर 6.31 मिनट कर दिया गया। बता दें कि योगी सरकार द्वारा लगातार इन सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है। वर्तमान में रियल-टाइम मॉनीटरिंग सिस्टम से एंबुलेंस की स्थिति और रिस्पांस टाइम की निगरानी की जाती है, जिससे किसी भी तरह की देरी पर तुरंत कार्रवाई संभव हो पाती है। यही वजह है कि योगी सरकार द्वारा संचालित एंबुलेंस सेवाएं आज उत्तर प्रदेश के लोगों के जीवन की रक्षा करने में एक मजबूत आधार बन चुकी हैं। रिस्पांस टाइम में लगातार हो रही गिरावट और सेवा की पहुंच में हो रही वृद्धि यह दर्शाती है कि योगी सरकार प्रदेशवासियों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

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