हर साल चैत्र महीने के त्रयोदशी तिथि को भगवान महावीर की जयंती मनायी जाती है. भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें साथ ही अंतिम तीर्थंकर थे. भगवान जैन 24 तीर्थंकर दिव्य महापुरुषों में से एक थे. उन्होंने अपनी तपस्या से आत्मज्ञान को प्राप्त किया. साथ ही अपनी इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से काबू पा लिया था.
भगवान महावीर जैन के अहिंसा सूत्र हैं जो आपके जीवन में बदलाव ला सकते हैं-
सत्य
भगवान महावीर ने सत्य के बारे में कहा है कि- हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ. जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है. यही वजह है कि उन्होंने लोगों को हमेशा सत्य बोलने के लिए प्रेरित किया.
अहिंसा
इस सिद्धांत में उन्होंने जैनों लोगों को हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है. भगवान महावीर ने अहिंसा पर कहा है कि इस लोक में जितने भी जीव है उनकी हिंसा मत कर, उनको उनके पथ पर जाने से न रोको. उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो. उनकी रक्षा करो.
ब्रह्मचर्य
महावीर स्वामी ब्रह्मचर्य के बारे में अपने बहुत ही अमूल्य उपदेश देते हैं कि ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है. तपस्या में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तपस्या है. जो पुरुष स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं.
अपरिग्रह
भगवान महावीर ने अपरिग्रह पर कहा है कि जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह करता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता.
अस्तेय
अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं. ऐसे लोग जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं. सिर्फ वही वस्तु लेते है जो उन्हे दी जाती है. जैन धर्म में महावीर स्वामी द्वारा कहा गया है कि अगर दूसरे के वस्तु बिना उसके दिए हुआ ग्रहण किया जाए तो वह चोरी है.