Haryana News : हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान तीसरे दिन सात विधेयक चर्चा उपरांत पारित किए गए। इनमें हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2024, हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024, हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 तथा हरियाणा नगर निगम(संशोधन) विधेयक,2024, हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024, हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक, 2024 तथा हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक, 2024 शामिल हैं।
इसके अतिक्ति, सत्र के दौरान पांच विधेयक पेश भी किए गए। इनमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2024, हरियाणा माल एवं सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2024, हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक, 2024, हरियाणा विस्तार प्राध्यापक तथा अतिथि प्राध्यापक (सेवा की सुनिश्चितता),विधेयक, 2024 तथा हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024 शामिल हैं।
हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2024
हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 1994 को संशोधित करने के लिए हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया।हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग (ख) के व्यक्तियों को आनुपातिक आरक्षण देने के उद्देश्य से राज्य सरकार हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 1994 की धारा 9, 59 और 120 में संशोधन करने का प्रस्ताव करती है। यह प्रगतिशील परिवर्तन पिछड़े वर्गों के वंचित व्यक्तियों के सशक्तिकरण और उत्थान में मदद करेगा।
हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024
हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) अधिनियम, 1961 में संशोधन करने के लिए हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया गया। जहां तक शामलात देह में स्थित भूमि हरियाणा भूमि उपयोग अधिनियम, 1949 के तहत खेती के उद्देश्य से पट्टे के आधार पर आवंटित की गई थी। पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद भी, विभिन्न न्यायालयों द्वारा बेदखली के आदेश पारित किए जाने के बावजूद ये पट्टेदार भूमि के अधीन रहे। सर्वोच्च न्यायालय ने 24 सितम्बर,1986 को एक मामले में, ‘बोधनी चमन भूतपूर्व सैनिक सहकारी काश्तकार सोसायटी लिमिटेड आदि बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य’ में कहा था कि सरकार भूमि का अधिग्रहण कर सकती है और याचिकाकर्ताओं को भूमि की कीमत चुकाने की शर्त पर आवंटित कर सकती है या याचिकाकर्ताओं की दयनीय स्थिति को देखते हुए उन्हें कहीं और भूमि आवंटित कर सकती है। हालांकि, उस समय सरकार द्वारा आवश्यक पुनर्वास उपाय नहीं किए जा सके। इसलिए, वर्तमान संशोधन के माध्यम से यह प्रस्तावित किया गया है कि शामलात देह में ऐसी भूमि, जो हरियाणा भूमि उपयोग अधिनियम, 1949 के तहत 20 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे के आधार पर आवंटित की गई थी और उक्त भूमि राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार मूल पट्टेदार, हस्तांतरिती या उसके कानूनी उत्तराधिकारी के निरंतर खेती योग्य कब्जे में रही है, को तुरंत प्रभाव से शामलात देह के दायरे से बाहर करने का प्रस्ताव है। मूल पट्टेदार, हस्तांतरी या उसके कानूनी उत्तराधिकारी को संबंधित ग्राम पंचायत को एक राशि का भुगतान करना होगा, जैसा कि संबंधित कलेक्टर द्वारा अधिभोगी द्वारा किए गए आवेदन पर ऐसे सिद्धांत और तरीके से निर्धारित किया जा सकता है।
हालांकि पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियमावली, 1964 में 200 वर्ग गज तक की शामलात भूमि पर अनाधिकृत रूप से निर्मित घर के नियमितीकरण के लिए एक प्रावधान है, जहां व्यक्तियों ने 200 वर्ग गज से अधिक भूमि पर कब्जा कर लिया है और अपने घरों का निर्माण किया है। यदि पंचायतों को भूमि वापस लौटाने के लिए ऐसे अनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त किया जाता है तो इससे न केवल ऐसे व्यक्तियों को कठिनाई होगी, बल्कि इससे महंगी और समय लेने वाली मुकदमेबाजी भी हो सकती है। इसलिए, शामलात देह में ऐसी भूमि को गांव के निवासियों को, जिन्होंने 31 मार्च, 2004 को या उससे पहले अपने घरों का निर्माण किया है, अधिकतम 500 वर्ग गज तक खुली जगह सहित, बाजार दर से कम दर पर बिक्री द्वारा हस्तांतरित करने का प्रस्ताव किया गया है।
हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2024
हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया।संशोधन के अनुसार प्रत्येक नगर परिषद/समिति में पिछड़े वर्ग ‘ख’ के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी तथा इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या, उस नगर परिषद/समिति में सीटों की कुल संख्या के समरूप अनुपात में, यथाशक्य, निकटतम होंगी, जो उस नगर परिषद/समिति की कुल जनसंख्या के अनुसार पिछड़े वर्ग ‘ख’ की जनसंख्या के अनुपात की आधी होगी तथा यदि दशमलव 0.5 या उससे अधिक है तो आगामी उच्चतर पूर्णांक में पूर्णांकित की जाएगी, तथा अनुसूचित जातियों तथा पिछड़े वर्ग ‘क’ के लिए पहले से ही आरक्षित सीटों को निकालने के बाद, ऐसी सीटें, उन सीटों, जिनमें पिछड़े वर्ग ‘ख’ की जनसंख्या की अधिकतम प्रतिशतता है, से प्राप्त पिछड़े वर्ग ‘ख’ के आरक्षण हेतु प्रस्तावित सीटों की संख्या की अधिकतम तीन गुणा में से ड्रा ऑफ लॉट्स द्वारा आबंटित की जाएगी।
हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2024
हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1994 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया। संशोधन के अनुसार प्रत्येक निगम में पिछड़े वर्ग ‘ख’ के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी तथा इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या, उस निगम में सीटों की कुल संख्या के समरूप अनुपात में, यथाशक्य, निकटतम होंगी, जो उस निगम की कुल जनसंख्या के अनुसार पिछड़े वर्ग ‘ख’ की जनसंख्या के अनुपात की आधी होगी तथा यदि दशमलव 0.5 या उससे अधिक है तो आगामी उच्चतर पूर्णांक में पूर्णांकित की जाएगी, तथा अनुसूचित जातियों तथा पिछड़े वर्ग ‘क’ के लिए पहले से ही आरक्षित सीटों को निकालने के बाद, ऐसी सीटें, उन सीटों, जिनमें पिछड़े वर्ग ‘ख’ की जनसंख्या की अधिकतम प्रतिशतता है, से प्राप्त की गई पिछड़े वर्ग ‘ख’ के आरक्षण हेतु प्रस्तावित सीटों की संख्या की तीन गुणा में से ड्रा ऑफ लॉट्स द्वारा आबंटित की जाएंगी।
हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024
हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास और विनियमन अधिनियम, 1975 को संशोधन करने के लिए हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया गया।तत्पश्चात, भू-संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 अधिनियमित किया गया और इस अधिनियम के नियम वर्ष 2017 में बनाए गए। इस अधिनियम की धारा 2 (थ) और 2 (यच) क्रमश: कम्पलीशन सर्टिफिकेट और ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट को परिभाषित करती है जोकि समानता के उद्देश्य के लिए एक पूर्ण परियोजना मानी जाती है।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक, 2024
हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन अधिनियम, 2014 को संशोधित कर हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया गया। हरियाणा राज्य में सिख गुरुद्वारों और गुरुद्वारा संपत्ति के स्वायत्त प्रबंधन और प्रभावी पर्यवेक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधक) अधिनियम 2014 लागू किया गया था। उक्त अधिनियम की धारा 46 में हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग के गठन का प्रावधान है जिसमें तीन सदस्य होंगे और अध्यक्ष, जिला न्यायाधीश होगा, यदि इस प्रकार नियुक्त किया जाता है और यदि जिला न्यायाधीश नियुक्त नहीं किया जाता है तो तीन सदस्यों में से एक उनकी वरिष्ठता के क्रम में अध्यक्ष होगा। अध्यक्ष या सदस्य का कार्यकाल पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, होगा। हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण है, जिसके निर्णय अंतिम होते हैं। गुरुद्वारा संपति, उसकी निधियों और गुरुद्वारा समिति, कार्यकारी बोर्ड या किसी अन्य संस्थानों के बीच किसी भी अन्य विवाद से संबंधित विवाद पर आयोग द्वारा निर्णय लिया जाना है। इसलिए, यह उचित समझा गया है कि उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को भी आयोग के सदस्य और अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने पर विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा, आयोग के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, धारा 46 की उप-धारा (1) के खंड (द्ब1) में प्रदान की गई 65 वर्ष की आयु की ऊपरी सीमा को हटा दिया जाना चाहिए।
हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024
हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता), विधेयक, 2024 संविदात्मक कर्मचारियों की सेवा की सुनिश्चितता और उससे संबंधित या उसके अनुषंगिक मामलों के लिए उपबंध करने हेतु विधेयक पारित किया गया।
हरियाणा संविदा कर्मचारी (सेवा की सुरक्षा), प्रस्तावित अधिनियम, 2024 का उद्देश्य कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान करने, अनुबंधित कर्मियों की सेवा शर्तों में सुधार करने और सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करना है, ताकि सरकारी विभागों के कामकाज में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित हो और लंबे समय से सेवारत संविदा कर्मचारियों का भला हो। इसलिए यह विधेयक लाया गया है।