Wednesday, May 8, 2024
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भारत में महादेव की एक ऐसी गुफा जहां छुपा है दुनिया के समाप्त होने का रहस्य

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नई दिल्ली। भारत सहित दुनिया भर में अनेक ऐसी गुफाएं मौजूद हैं, जो लोगों के लिए आज भी आश्चर्य का विषय बनी हुई हैं। लेकिन भारत में आज भी एक ऐसी गुफा मौजूद है जिसका उल्लेख पुराणों तक में मौजूद है। और यहां तक माना जाता है कि दुनिया के समाप्त होने का रहस्य भी इसी गुफा के गर्भ में छुपा हुआ है। दरअसल आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में गंगोलीहाट कस्बे में मौजूद एक रहस्यमयी गुफा की। इस गुफा से ऎसी मान्यताएं जु़डी हैं, जिनका उल्लेख पुराणों में भी किया गया है। गुफा के बारे में बताया जाता है कि इसमें दुनिया के समाप्त होने का भी रहस्य छुपा है। इस गुफा को महादेव पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है।

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर रहस्य और सुंदरता का बेजोड़ मेल के रुप में जाना जाता है। समुद्र तल से 90 फीट नीचे इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए बहुत ही संकीर्ण रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। स्कंद पुराण में भी इस मंदिर की महिमा का वर्णन है। यहां जानिए पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।

पाताल भुवनेश्वर की खोज कैसे हुई

पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में कहा जाता है कि पाण्डवों ने इस गुफा के पास तपस्या की थी। यह गुफा जहां पूर्व में कई बार मिली तो कई बार खो गई,इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे। स्कंदपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं।

यह भी वर्णन है कि राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये थे। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला। इसके बाद काफी समय तक लोगों की नजरों से दूर रहने के बाद इस रहस्यमयी गुफा की कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई. के आसपास इस गुफा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया।

जानें क्या खास है गुफा के अंदर –

* गणेश जी का सिर जो उस कथा की याद दिलाता है, जब भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया था। यहां विराजित गणेश जी की मूर्ति को आदिगणेश कहा जाता है। इस गुफा में भगवान गणेश की कटी हुई शिलारूपी ( मस्तक ) मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर जल की दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदि गणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। इन बुंदों को अमृत की धारा भी कहा जाता है।

* इस गुफा में चार खंभे हैं जो चार युगों अर्थात सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग को दर्शाते हैं। इनमें पहले तीन आकारों में कोई परिवर्तन नही होता। कलियुग का खंभा लम्बाई में अधिक है।इस गुफा की सबसे खास बात तो यह है कि यहां एक शिवलिंग है जो लगातार बढ़ रहा है। यहां शिवलिंग को लेकर यह मान्यता है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी।

* भारत का प्राचीन स्कन्द पुराण ग्रंथ और टटोलिये मानस खण्ड के 103वें अध्याय के 273 से 288 तक के श्लोकों में इसका वर्णन मिलता है। ग्रंथ में गुफ़ा का वर्णन पढ़कर यह मूर्तियां साक्षात जागृत हो जाएंगी।

स्कन्द पुराण मानसखंड 103/10-11 : –

शृण्यवन्तु मनयः सर्वे पापहरं नणाभ्‌ स्मराणत्‌ स्पर्च्चनादेव
पूजनात्‌ किं ब्रवीम्यहम्‌ सरयू रामयोर्मध्ये पातालभुवनेश्‍वर !!

अर्थ : –
ऐसे स्थान का वर्णन करता हूं जिसका पूजन करने के सम्बन्ध में तो कहना ही क्या, जिसका स्मरण और स्पर्श मात्र करने से ही सब पाप नष्ट हो जाते हैं वह सरयू, रामगंगा के मध्य पाताल भुवनेश्‍वर है – वेद व्यास

क्या है मंदिर की गुफा के अंदर

* पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में कहा जाता है कि इसमें भगवान शिव का निवास है। सभी देवी-देवता इस गुफा में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं। पाताल भुवनेश्वर गुफा में एक साथ चार धामों के दर्शन किए जा सकते हैं । ऎसी मान्यता है कि इस गुफा में एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ के दर्शन होते हैं। इसे दुर्लभ दर्शन माना जाता है जो किसी अन्य तीर्थ में संभव नहीं होता।

* गुफा के अंदर हवन कुंड है। इस हवन कुंड के बारे में कहा जाता है कि इसमें जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सांप भस्म हो गए थे। केवल तक्षक नाग ही बच गया जिसने राजा परीक्षित को काटा था। कुंड के पास एक सांप की आकृति जिसे तक्षक नाग कहा जाता है।

* गुफा के अंदर जाने पर संकरे रास्ते से जमीन के अंदर आठ से दस फीट नीचे जाने पर गुफा की दीवारों पर कई ऎसी आकृतियां नजर आने लगती हैं जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यह आकृति एक हंस की है जिसके बारे में यह माना जाता है कि यह ब्रह्मा जी का हंस है।

पाताल भुवनेश्वर जाने का सबसे अच्छा समय

अगर आप रोमांच और धार्मिक प्रेमी हैं, तो अच्छा होगा आप इस मंदिर के दर्शन एक सही समय में करें। उत्तराखंड में इस रहस्यमयी गुफा की यात्रा करने के लिए मानसून का समय बिल्कुल भी सही नहीं है, आप यहां मार्च से जून के बीच दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। अगर आपको ठंड में घूमना बेहद पसंद है तो ठंड में आप अक्टूबर से फरवरी के महीने में भी जा सकते हैं।

कैसे पहुंचें पाताल भुवनेश्वर

सड़क द्वारा: ये जगह हर जगह से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है, जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं। यह नई दिल्ली, लखनऊ और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे से टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं।

रेलवे द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर रेलवे स्टेशन है, जो पाताल भुवनेश्वर से 154 किमी दूर है।

हवाई जहाज से: टनकपुर में बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो पाताल भुवनेश्वर से 224 किमी दूर है।

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