पूरी तरह से डिजिटल होने का मतलब यह नहीं है कि हम दूरदराज के इलाकों में ग्राहकों की पहुँच और उनकी आवश्यकताओं को अनदेखा कर सकते हैं। डिजिटल साक्षरता की कमी, सीमित पहुँच और कुछ जनसांख्यिकी को बाहर करने का जोखिम, डिजिटल समाधानों के सामने बड़ी चुनौतियाँ खड़ी करता है। इसके अतिरिक्त, खासकर जटिल उत्पादों या आपूर्ति श्रृंखला वित्तपोषण जैसी सेवाओं में, ग्राहकों के साथ मानवीय संपर्क की आवश्यकता बनी रहती है। वित्तीय सेवाओं में विश्वास बनाए रखने के लिए यह एक महत्वपूर्ण तत्व है।
वोलोफ़िन के सह-संस्थापक और सीईओ रोशन शाह कहते हैं, “हम डिजिटल दक्षता को भौतिक टचपॉइंट्स के साथ जोड़ने के महत्व को समझते हैं। हमारी रणनीति में रिलेशनशिप मैनेजरों के माध्यम से व्यक्तिगत सहायता प्रदान करते हुए, तेजी से ऑन-बोर्डिंग, रीयल-टाइम क्रेडिट असेसमेंट और निर्बाध संचालन के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।” इस हाइब्रिड दृष्टिकोण से एमएसएमई को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में सेवा देने में मदद मिलती है, जिससे ग्राहकों का विश्वास और पहुँच सुनिश्चित होती है।
वहीं, मणिपाल बिजनेस सॉल्यूशंस के सीईओ विशाल जैन कहते हैं, “हमने वित्तीय संस्थानों को डिजिटल और भौतिक समाधान के मिलाजुले दृष्टिकोण से इन चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए एक रणनीति विकसित की है, जिससे मजबूत डेटा सुरक्षा और एंड-टू-एंड समर्थन सुनिश्चित होता है। उदाहरण के तौर पर, KYC जैसी डिजिटल सेवाएँ इंटरनेट कनेक्टिविटी और साक्षरता की समस्या से प्रभावित हो सकती हैं, और यही कारण है कि हमारी डोरस्टेप सेवाएँ इस अंतर को पाटती हैं।”
डिजिटल टूल्स की दक्षता को व्यक्तिगत संवाद और भरोसे के साथ जोड़ते हुए, यह दृष्टिकोण ग्राहकों तक सेवाएँ सीधे पहुँचाने में मदद करता है।