फरीदाबाद : सूरजकुंड में आयोजित द्वितीय सूरजकुंड दीवाली मेला में आत्मनिर्भर भारत स्वदेशी मेला की थीम पर स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के साथ “लौट चले गांव के ओर, यानी भारतीय परंपराओं और वैदिक जीवनशैली को फिर से अपनाने के उद्देश्य से इस बार एक्टिव वैदिक उद्योग के स्टॉल विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
सूरजकुंड दिवाली मेला में स्टॉल नंबर 252 पर आगंतुकों को वैदिक पद्धति से तैयार किए गए ठंडा आटा, मल्टी ग्रेन आटा, मिलेट का आटा, और कोल्हू से निकला तेल एवं शुद्ध मसाले उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह सभी उत्पाद न सिर्फ स्वाद में लाजवाब हैं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी हैं।
एक्टिव वैदिक उद्योग का मानना है कि प्राकृतिक और वैदिक पद्धति से बने आहार न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं बल्कि गांव और परंपरागत पद्धतियों से जुड़ाव भी कराते हैं। मेले में बड़ी संख्या में लोग इन उत्पादों को पसंद कर रहे हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इनकी खरीदारी कर रहे हैं।
सूरजकुंड दिवाली मेला में पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से आगंतुकों का मन मोह रहे लोक कलाकार
सूरजकुंड दिवाली मेला केवल स्वदेशी उत्पादों और हस्तशिल्प तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत बना रहा है। मेला में लोक कलाकार पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से आगंतुकों का मन मोह रहे हैं और उन्हें प्राचीन संस्कृति के गौरवशाली अतीत से भी जोड़ रहे हैं।
कार्यक्रमों में नगाड़ा पार्टी, बीन पार्टी आदि की हरियाणवी लोक नृत्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने वातावरण को परम्परागत और उत्साहपूर्ण बना दिया है। दर्शक भी तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन कर रहे हैं। इन्हीं कलाकारों में से रोहतक से आया महिला लोक कलाकारों का आरती समूह प्राचीन लोक गीतों से लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहा है। मेला में आए लोगों का कहना है कि ऐसे कार्यक्रम भारतीय परंपराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सूरजकुंड दिवाली मेला पिछले साल की तरह इस बार भी संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी का अनूठा संगम बनकर उभरा है। आइए, आप भी सूरजकुंड दिवाली मेला में संस्कृत कार्यक्रमों का आनंद लें और भारतीय संस्कृति की भव्यता से जुड़ें।