पंजाब, जहां एक ओर नासा द्वारा जारी सैटेलाइट आधारित रिपोर्ट में अक्टूबर महीने में दर्ज आंकड़ों के बाद पंजाब में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में 88 फीसदी की कमी आई है। नवंबर का महीना आते ही पंजाब में पराली जलाने के मामले अचानक बढ़ गए हैं।
ताजा मिली जानकारी के मुताबिक, नवंबर महीने की शुरुआत में 48 घंटों के दौरान पराली जलाने के करीब 400 नए मामले दर्ज किए गए हैं। अगर आने वाले दिनों में इसी रफ्तार से पराली जलाई गई तो स्थिति 88 फीसदी कटौती के आंकड़े के ठीक उलट हो सकती है। अक्टूबर महीने के आंकड़ों में कमी का कारण संभवतः धान खरीद की धीमी गति और किसानों द्वारा कटाई बंद करना है।
अब खरीद बढ़ने के बाद कटाई में भी बढ़ोतरी हुई है और पराली जलाने के मामलों में भी तेजी आने लगी है। अब नागरिक प्रशासन के साथ पुलिस भी एक्शन में आकर पराली सड़ने से रोकने के लिए खेतों में पहुंच गई है। जहां पुलिस अधिकारी खुद पराली की आग बुझाते नजर आ रहे हैं, वहीं पुलिस किसानों पर केस भी दर्ज कर रही है।
राजस्व विभाग के राजस्व अभिलेखों में लाल प्रविष्टियां करने के साथ ही किसानों पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है। अब जिलों में उपायुक्तों ने पराली रोकथाम के मामलों में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। फिरोजपुर में डिप्टी कमिश्नर ने कई कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है।
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पराली जलाने के पिछले समय पर नजर डालें तो यह प्रवृत्ति 2016 में अपने चरम पर थी जब पराली जलाने के 35,336 मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में 15,285 घटनाएं दर्ज की गईं।
अक्टूबर महीने की बात करें तो इस बार 2342 घटनाएं दर्ज की गईं जबकि पिछले साल 6,962 घटनाएं हुई थीं। अब धान की खरीद बढ़ने के बाद किसान गेहूं की बुआई का समय बीत जाने के डर से पराली को तुरंत ठिकाने लगाने के लिए मजबूर हो जाएंगे और छोटे किसान महंगी मशीनें पहुंच से दूर, प्रावधानों की कमी के कारण पराली जलाने को मजबूर हो जाएंगे।
बता दें कि नवंबर महीने में जहां पराली जलाने के मामले अचानक बढ़ गए हैं, वहीं दिवाली के दो दिनों में पटाखों से फैलने वाले प्रदूषण ने हवा को बेहद खराब कर दिया है। पंजाब में इस समय कई जगहों पर वायु गुणवत्ता का स्तर 400 के पार पहुंच गया है।