Tuesday, September 9, 2025
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हरियाणा में बनेगी राज्य सहकारिता नीति, एक सप्ताह के अंदर होगा समिति का गठन

हरियाणा अपनी राज्य सहकारिता नीति तैयार करने जा रहा है, जो राज्य में सहकारिता आंदोलन को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए एक सप्ताह के अंदर एक समिति गठित की जाएगी, जो प्रदेश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों के अनुभवों को भी इसमें शामिल करेगी।

यह निर्णय यहां मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई राज्य सहकारिता विकास समिति (एससीडीसी) की बैठक में लिया गया।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को हरियाणा में 34 पैक्स का विविधीकरण करने और अन्य राज्यों की श्रेष्ठ प्रणालियों को अपनाने के निर्देश दिए, ताकि राज्य के सहकारिता क्षेत्र को नवाचार और समावेशिता का मॉडल बनाया जा सके।

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए रोहतक स्थित सहकारिता प्रबंधन केंद्र को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की योजना है।

सहकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विजयेंद्र कुमार ने बताया कि हरियाणा ने सहकारी संस्थाओं के डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय प्रगति की है। अब तक 518 पैक्स ने CoopsIndia पोर्टल पर डे-एंड प्रक्रिया पूरी की है, 39 पैक्स गतिशील डे-एंड प्रणाली पर कार्य कर रही हैं, जबकि 338 पैक्स ई-पैक्स मोड में परिवर्तित हो चुकी हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि 57 पैक्स ने वित्तीय वर्ष 2024–25 के लिए अपना ऑनलाइन ऑडिट भी पूरा कर लिया है।

रजिस्ट्रार सहकारिता समितियां, हरियाणा राजेश जोगपाल ने बताया कि राज्य ने नई बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियाँ (एम- पैक्स), दुग्ध सहकारी समितियाँ और मत्स्य सहकारी समितियाँ स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, ताकि सभी पंचायतों तक सहकारी संस्थाओं की व्यापक पहुंच हो सके। वर्ष 2028–29 तक 477 नई एम-पैक्स और 583 नई दुग्ध सहकारी समितियाँ बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 25 नई दुग्ध सहकारी समितियाँ गठित हो चुकी हैं और 15 मौजूदा समितियों को सुदृढ़ किया गया है। इसके अलावा, 22 नई एम-पैक्स स्थापित की गई हैं, जिन्हें जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से जोड़ा गया है। इन समितियों ने अब तक 31.57 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया है, जिससे किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को लाभ मिला है।

बैठक में बताया गया कि राज्य सहकारिता नेटवर्क को स्वास्थ्य और डिजिटल सेवाओं से भी जोड़ा जा रहा है। 95 पैक्स को प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के रूप में संचालित करने की मंजूरी मिल चुकी है और 410 पैक्स कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में कार्य कर रही हैं, जो गांव स्तर पर विभिन्न सरकारी सेवाएँ उपलब्ध करा रही हैं।

वहीं, हैफेड ने राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) और राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लिमिटेड (एनसीओएल) की सदस्यता प्राप्त की है, जिससे किसानों को निर्यात और जैविक खेती के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे।

इसके अतिरिक्त, राज्य सहकारी बैंक को 19 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की ओर से बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) से बीमा कॉरपोरेट एजेंट के रूप में कार्य करने की स्वीकृति मिल चुकी है। आरबीआई की अंतिम मंजूरी लंबित है। इसके लागू होने पर सहकारी बैंक अपने सदस्यों को बीमा सेवाएँ भी उपलब्ध करा सकेंगे, जिससे ग्रामीण समुदायों की वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी।

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