Tuesday, May 7, 2024
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पापमोचिनी एकादशी व्रत से नष्ट होते हैं पाप, भगवान विष्णु का मिलता है आशीर्वाद

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नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन पापमोचिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। यह व्रत 5 अप्रैल 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस उपवास के करने से ब्रह्म हत्या, स्वर्ण की चोरी, मद्यपान, भोग-विलास आदि भयंकर पाप भी नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद व्यक्ति को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। यहां तक पापमोचनी एकादशी व्रत कुयोनि में मिले जन्म से भी छुटकारा दिलाता है। पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।

पापमोचिनी एकादशी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की विधिवत उपासना करने से और कुछ खास नियमों का ध्यान रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है व कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल शाम 04:14 से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 5 अप्रैल दोपहर 01:28 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी व्रत 05 अप्रैल 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। वहीं इस व्रत का पारण अगले दिन यानी 6 अप्रैल को सुबह 06:05 से सुबह 08:40 के बीच किया जाएगा।

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

प्राचीन समय में चैत्ररथ नामक एक वन था। उसमें अप्सरायें किन्नरों के साथ विहार किया करती थीं। उसी वन में मेधावी नाम के एक ऋषि भी तपस्या में लीन रहते थे। वह भगवान शिव के परम भक्त थे। एक दिन मञ्जुघोषा नाम की एक अप्सरा ने उनको मोहित कर उनकी तपस्या भंग करने की योजना बनाई। कामदेव ने भी मुनि के तप से भंग करने के लिए मञ्जुघोषा का साथ दिया।

काम के वश में हुए ऋषि

मुनि को देखकर कामदेव के वश में हुयी मञ्जुघोषा ने धीरे-धीरे मधुर वाणी से वीणा पर गायन आरम्भ किया तो महर्षि मेधावी भी मञ्जुघोषा के मधुर गायन पर और उसके सौन्दर्य पर मोहित हो गए। महर्षि मेधावी शिव रहस्य को भूल गए और काम के वशीभूत होकर अप्सरा के साथ जीवन व्यतीत करने लगे। मुनि को उस समय दिन-रात का कुछ भी ज्ञान न रहा। इस तरह करीब 57 साल गुजर गए।

ऋषि को तप भंग करने पर आया क्रोध

इसके बाद मञ्जुघोषा ने एक दिन ऋषि से कहा, “हे विप्र! अब आप मुझे स्वर्ग जाने की आज्ञा दीजिए। अब मेरा अधिक समय यहां रहना उचित नहीं तब मुनि को समय का ज्ञान हुआ। तब उस अप्सरा को वह काल का रूप समझने लगे। इतना अधिक समय भोग-विलास में व्यर्थ चला जाने पर उन्हें बड़ा क्रोध आया। उन्होंने अप्सरा को पिशाचिनी बन जाने का श्राप दे दिया।

पिशाच योनि से मिली मुक्ति

वो अप्सरा पिशाचिनी बन गई। उसने व्यथित होकर मुनि से कहा साधुओं की संगत उत्तम फल देने वाली होती है और आपके साथ तो मेरे बहुत वर्ष व्यतीत हुए हैं, अब आप मुझ पर प्रसन्न हो जाइए, अन्यथा लोग कहेंगे कि एक पुण्य आत्मा के साथ रहने पर मञ्जुघोषा को पिशाचिनी बनना पड़ा। मञ्जुघोषा की बात सुनकर मुनि को अपने क्रोध पर अत्यन्त ग्लानि हुई और उन्होंने अप्सरा को चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पापमोचिनी एकादशी व्रत करने को कहा। मञ्जुघोषा ने ऐसा ही किया, चूंकि एक तपस्वी होने के बाद मेधावी मुनि ने भोग विलास का पाप किया इसलिए उन्होंने से भी प्रायश्चित के लिए पापमोचिनी एकादशी व्रत किया। इसके फलस्वरूप अप्सरा पिशाचिनी की देह से छूट गयी और स्वर्ग को चली गई वहीं मुनि के भी सारे पाप नष्ट हो गए।

पापमोचिनी एकादशी पर रखें इन बातों का ध्यान

  • पापमोचिनी एकादशी व्रत के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस विशेष दिन पर व्यक्ति को घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और घर में साफ सफाई रखनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें की एकादशी व्रत के दिन घर में झाड़ू ना लगाएं, इससे छोटे कीड़े-मकोड़े के मरने का भय रहता है।
  • शास्त्रों में बताया गया है की एकादशी व्रत के दिन व्यक्ति को चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन चावल का सेवन करता है, वह अगले जन्म में रेंगने वाले जीवों की श्रेणी में जन्म लेता है।
  • इस विशेष दिन पर तामसिक भोजन जैसे प्याज-लहसुन इत्यादि से भी दूर रहना चाहिए और मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित है।
  • एकादशी व्रत के दिन शारीरिक शुद्धता पर भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं कटवाना चाहिए। व्रत से एक दिन पहले या व्रत के बाद ऐसा कर सकते हैं।
  • एकादशी व्रत के दिन आत्मिक शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए इस विशेष दिन पर किसी पर ना तो क्रोध करना चाहिए और ना ही मन में द्वेष भावना लानी चाहिए।
  • एकादशी के शुभ अवसर पर मन को एकाग्र रखें और सकारात्मक विचारों को हमेशा महत्व दें। मान्यता है कि सकारात्मक रहकर भगवान की आराधना करने से पूजा का फल प्राप्त होता है।
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