नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में चीफ जस्टिस की तरफ जूता फेंके जाने की घटना के बाद जूते की हैसियत की मत पूछिए। अगर ऐसी जुर्रत करने वाले वकील की बात मानें तो जूते में एक ‘दैविक’ शक्ति भी आ गई है। और जिस तरह चीफ जस्टिस ने इस गिरी हुई हरकत को माफ कर दिया, उससे तो यही लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने जूते फेंक कर किसी को अपमानित करने को अपराध की श्रेणी से ही मुक्ति दे दी। अब आप चाहें तो किसी पर जूते फेंकने की घटना को ‘शू-स्वागतम’ की संज्ञा भी दे सकते हैं।
जातिगत भेदभाव के संदर्भ में भारत में जूते की माला पहनाना एवं जूते मार कर किसी को अपमानित करने का लंबे समय से चला आ रहा चलन रहा है। आधुनिक दौर में यह राजनेताओं को अपमानित करने या गुस्सा जाहिर करने का हथियार भी बन गया है। सोशल मीडिया पर तो अब अपमानित करने एवं किसी की लानत मलानत करने में जूते का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। लेकिन कभी जूता कोर्ट रूम में भी चल जाएगा और वह भी चीफ जस्टिस की तरफ इसकी किसी ने शायद ही कल्पना की होगी।
जूते की जद में देश विदेश की कई बहुत बड़ी बड़ी शख्सियतें आ चुकी हैं। 2009 में यूपीए के शासनकाल में तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम तक नहीं बख्से गए। जरनैल सिंह नामक एक पत्रकार ने एक संवाददाता सम्मेलन में उन पर जूता चला दिया था। बाद में वे अपनी इस ‘बहादुरी’ के एवज में विधायक भी बने। देहरादून की एक चुनावी रैली में 2012 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष एवं अब देश के अगले प्रधानमंत्री के रूप में भाग्य आजमा रहे राहुल गांधी को भी जूता रूपी मिसाइल का सामना करना पड़ा था। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी कई बार जूते-चप्पल चले। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह भी नहीं बच पाए। 2009 में अहमदाबाद की एक चुनावी रैली में उनकी तरफ भी जूता उछालने का दुःसाहस हुआ।
अमेरिका के राष्ट्रपति से बड़ी हस्ती भला कोई क्या होगा। जूते की जद में आने से ये भी नहीं बचे। 2008 में ईराक दौरे पर पहुंचे तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश पर जूता फेंककर हमला किया गया।यह हमला भी एक पत्रकार ने ही किया। लेकिन यहां जार्ज बुश पर जूता फेंकना उस पत्रकार को बहुत मंहगा पड़ा। तीन साल की सजा हुई। कहीं भारत के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने उदारता का परिचय नहीं दिया होता तो वकील साहब यूएपीए में लंबे समय के लिए टंग जाते। करांची में 2013 में पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर एक वकील ने जूता फेंका था जो सीधे उनके नाक पर जा लगा।
जूते फेंककर अपना गुस्सा जताने के ऊपर के उदाहरणों में सबके पास कुछ ने कुछ ठोस कारण थे लेकिन अभी अभी सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बी आर गवई की तरफ जूता उछालने की गुस्ताखी करने वाले वकील राकेश किशोर ने एक अजीबोगरीब तर्क दिया। उन्होंने कहा – कि यह काम उनसे ऊपर वाले ने करावाया क्योंकि चीफ जस्टिस ने सनातन का अपमान किया था। वैसे सनातन के अपमान जैसी बात कतई नहीं थी। बहरहाल, मामले ने तूल पकड़ लिया है और इसके लिए विपक्ष की आलोचना की जद में मोदी सरकार आ गई है।