Shardiya Navratri 2024 : नवरात्रि पर्व पूरी धार्मिक आस्था के साथ मनाया जा रहा है। इसको लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
रोहतक के माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री जी के सानिध्य में वीरवार शारदीय मास की अष्टमी तिथि को मां जगदंबे के आठवें स्वरूप महागौरी मां की पूजा-अर्चना भक्तों ने विधिनुसार, मंत्रोच्चारण, श्रद्धा, उत्साह, सुख-समृद्धि से आरती की और मनोकामनाएं मनोकामनाएं मांगी।
गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन पर होगी। पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर की दोपहर 12:31 बजे से शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन 11 अक्टूबर को 12:06 बजे होगा । इसके तुरंत बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो 12 अक्टूबर सुबह 10:57 मिनट तक रहेगी।
नवरात्रों के पावन पर्व पर भक्तों को प्रवचन देते हुए मानेश्वरी देवी ने कहा कि महागौरी माँ की की पूजा व भक्ति करने, आरती सुनने या पढ़ने से समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा की सच्चे मन से आराधना की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां महागौरी की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों के बिगड़े काम बनते हैं, बीमारी से मुक्त होता है व परिवार निरोग जीवन व्यतीत हैं।
महागौरी मां ने कठोर तपस्या की थी : साध्वी मानेश्वरी देवी
उन्होंने कहा कि पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए हजारों वषों तक कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और उनका शरीर गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया तब से माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा जाने लगा।
साध्वी ने बताया कि मंदिर में शुक्रवार को दुर्गा नवमी पर माँ के नौवें स्वरूप की पूजा अर्चना की जाएगी। कार्यक्रम में प्रात: 8 बजे हवन व कन्याओं का पूजन होगा। इस अवसर पर कन्याओं के चरण धोकर, हाथों पर रोली बांधकर, माथे पर तिलक, श्रृंगार का सामान, आरती, छोले-पूड़ी-हलवा, नारियल तथा भंडारे का प्रसाद कन्याओं को दिया जाएगा। कार्यक्रम में माँ लाडलियाँ माँ झंडेवाली मंडली अपनी सुरीली व मधुर वाणी से माँ के भजनों का गुणगान करेंगी। तत्पश्चात 12 बजे गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी व संत-महात्माओं के प्रवचन, आर्शीवचन और दोपहर एक बजे भक्त भंडारे का प्रसाद ग्रहण करेंगे।