रोहतक में सावन के दूसरे सोमवार के दिन शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखने को मिली। श्रद्धालु बेलपत्र, दूध, गंगाजल, शहद और जल से भगवान शिव का अभिषेक करने पहुंचे। इस पावन अवसर पर शिव भक्तों ने महामंत्र का जाप किया और विधि-विधानुसार शिवलिंग की पूजा-अर्चना करके सुख-समृद्धि की कामनाएं की।
वहीं माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां साध्वी गायत्री जी के सानिध्य में श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी तिथि के दूसरे सोमवार को गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने भक्तों संग हर हर महादेव व ॐ नम: शिवाय के जयकारों के साथ शिवलिंग पर श्रद्धा और उत्साह से जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया। कार्यक्रम में साध्वी ने शिवपुराण कथा, कीर्तन व मधुर वाणी से भगवान शिव के भजनों का गुणगान किया।
शिव भक्तों ने भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा श्रद्धा में भक्तिभाव से की : साध्वी मानेश्वरी देवी
साध्वी मानेश्वरी देवी ने कथा करते हुए बताया कि श्रावण माह के दूसरे सोमवार को कामिका एकादशी होने पर मंदिर में भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी की गई । उन्होंने कहा कि कामिका एकादशी पर विधिनुसार व भक्तिभाव से पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद अधोगति नहीं होती, बल्कि मानव जीवन प्राप्त होता है ।
सावन माह में भोलेनाथ की पूजा-आराधना से पुण्य की प्राप्ति होती है : साध्वी मानेश्वरी देवी
गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने प्रवचन देते हुए कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और इस माह भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना से मानव को पुण्य की प्राप्ति होती है और हर मनोकामनाएं पूर्ण व साथ ही जीवन में सुख-शांति आती है। उन्होंने कहा कि सावन महीने में शिव कथा कहना और सुनना कल्याणकारी है।
भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी : साध्वी
साध्वी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती द्वारा की गई कठोर तपस्या का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि इस तपस्या के दौरान माता पार्वती ने खुद को शिवभक्ति में लीन कर दिया। उन्होंने अपने पिता हिमवान की आज्ञा के विरुद्ध भगवान शिव को अपना पति बनाने का निर्णय लिया। माता पार्वती की तपस्या को देख भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर विवाह किया। उन्होंने कहा कि यह प्रसंग हमें यह सिखाता है कि यदि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या और समर्पण के साथ काम करते हैं, तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।