कुरुक्षेत्र : केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गीता जीवन जीने का मार्ग और शांति का स्रोत है। कुरुक्षेत्र की पावन धरती पर महाभारत के युद्ध के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था। यह सन्देश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस काल में था। उन्होंने कहा कि युद्ध के मैदान में दिया शांति का स्रोत ही गीता को दुनिया में एक अद्वितीय ग्रंथ बनाता है।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल शनिवार को ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में आयोजित संत सम्मेलन में बोल रहे थे। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, जूनागढ़ अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद महाराज, दिनेशानंद महाराज, कपिल मुनि महाराज, गोपाल दास महाराज, शिव कुमार स्वामी, भैया जी महाराज, भूपेंद्र सिंह महाराज, संपूर्णानंद महाराज सहित अन्य संत-महापुरुष उपस्थित रहें। मुख्य अतिथियों व सभी संत महापुरुषों द्वारा दीप प्रज्वलित कर और पवित्र ग्रन्थ गीता का पूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि यह महोत्सव भारत के विभिन्न राज्यों और विदेशों में भी आयोजित किया जा रहा है। जिससे गीता के उपदेश विश्व भर में पहुंच रहे है। इसके साथ ही अब हरियाणा के हर जिले में भी तीन-तीन दिन गीता महोत्सव मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र के लोगों के लिए गीता के संदेश प्रासंगिक है। कर्तव्य का पालन करना ही राजनीति का सार है। यदि हम अपने धर्म का पालन करेंगे तो अपने आप सब ठीक होगा। उन्होंने कहा कि समाज को साथ लेकर काम करना राजनीतिक क्षेत्र के लोगों का धर्म है, और चुनाव भी युद्ध की तरह ही होता है, जहाँ न्याय की विजय सुनिश्चित करना ही लक्ष्य होता है।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गीता का ज्ञान स्थिर मन और निर्णय लेने के लिए आवश्यक है। उन्होंने संत समाज और समाज के प्रबुद्धजनों से अपील की कि वे गीता के संदेश को केवल कुरुक्षेत्र तक सीमित न रखकर, सर्वव्यापी बनाएं ताकि यह हर व्यक्ति के जीवन को ऊंचा उठाने के लिए उपयोगी बन सके।
गीता का उपदेश मानवता का शाश्वत ज्ञान: पुष्कर सिंह धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन भूमि से भगवान कृष्ण द्वारा दिया गीता का उपदेश मानवता का शाश्वत ज्ञान है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र अब केवल एक क्षेत्र नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय गीता की भूमि के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश आज भी मानवता को सही दिशा देने का काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड सरकार देवभूमि की संस्कृति और पारंपरिक धरोहरों को सहजने का काम कर रही है उत्तराखंड में प्रतिदिन स्कूलों में गीता के एक श्लोक का पाठ अनिवार्य किया गया है और इसे पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सभी धार्मिक धरोहरों को सजाया जा रहा है, और राज्य समान नागरिक संहिता लागू किया गया है उन्होंने आह्वान किया कि इस कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए ताकि नई पीढ़ी को उनके सांस्कृतिक मूल्यों और जड़ों से दोबारा जोड़ा जा सके।
गीता केवल एक धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि योग शास्त्र, ब्रह्मविद्या और मानव मनोविज्ञान की सर्वश्रेष्ठ कृति: धर्मेन्द्र सिंह लोधी
मध्य प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि गीता केवल एक धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि योग शास्त्र, ब्रह्मविद्या और मानव मनोविज्ञान की सर्वश्रेष्ठ कृति है। उन्होंने कहा कि आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र की इसी रंगभूमि में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अर्जुन के मोह और विषाद से घिर जाने पर जिस अमृतमयी वाणी का उद्घोष किया। उन्होंने गीता को सर्वकालिक, सार्वभौमिक और सार्वभौम बताते हुए कहा कि यह प्रबंधन, मनोविज्ञान, नेतृत्व, नैतिकता और आध्यात्म का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है।उन्होंने सभी से यह संकल्प लेने का आवाहन किया कि गीता को केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि अपने जीवन का मार्गदर्शक बनाएंगे, ताकि एक समृद्ध, विजयी और धर्मपरायण समाज का निर्माण हो सके।
गीता में समाहित ज्ञान में ही विश्व शांति और सद्भावना का मार्ग निहित: स्वामी ज्ञानानन्द महाराज
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता में समाहित ज्ञान में ही विश्व शांति और सद्भावना का मार्ग निहित है। यह हमें द्वेष, भय और मोह से मुक्त होकर समभाव से जीवन जीने की शिक्षा देती है, जो वैश्विक एकता के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि हमें गीता के उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करना ही गीता के सार का सच्चा अनुसरण है। उन्होंने कहा कि 1 दिसम्बर को केशव पार्क में वैश्विक गीता पाठ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 21 हजार बच्चे एक साथ गीता पाठ करेंगे। सुबह 11 बजे 1 मिनट एक साथ गीता का पाठ किया जाएगा।
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद स्वामी ने कहा कि धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र की पावन भूमि पर आयोजित किया कार्यक्रम वैश्विक पहचान बन चुका है। किसी पावन धरा से भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था जो पूरे विश्व के लिए शांति का संदेश था। गीता में मोक्ष प्राप्ति की बात है जो हमें ईश्वर से जोड़ती है गीता योग का मूल ग्रंथ है आज से विश्व भर में मान्यता मिल रही है।
संत सम्मेलन में आए शिवकुमार स्वामी, भैया जी महाराज, लोकेश मुनि महाराज, शंकराचार्य महाराज, भूपेंद्र सिंह महाराज, संपूर्णानंद महाराज सहित सभी संत महापुरुषों ने भी अपने विचार रखें।

