रोहतक : चिकित्सा जगत से जुड़ा ज्ञान वह चीज है जिसको हम जितना अधिक बांटें उससे उतना ही समाज का भला होता है। नर्सिंग स्टाफ किसी भी अस्पताल में ही नहीं समाज में भी अपने ज्ञान का प्रचार प्रसार करके अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। यह कहना है पीजीआइएमएस रोहतक के निदेशक डॉक्टर एस के सिंघल का। वे नियोनेटोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित चार दिवसीय फैसिलिटी बेस्ड न्यूबॉर्न केयर कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए थे।
इस अवसर पर पूरे प्रदेश से आए सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरित करते हुए निदेशक डॉ एस के सिंघल ने कहा कि आज हम सभी को यहां से यह प्रण लेकर जाना है कि हमने इन चार दिनों में जो कुछ यहां पर सीखा है वह हम जाकर अपने आस पड़ोस व अस्पताल में तैनात अन्य स्टाफ को भी सिखाएंगे ताकि वे भी नवजात शिशु की जान बचाने में अपना अहम योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि नर्सिंग स्टाफ अस्पताल के अंदर एक गर्भवती महिला के पास सबसे ज्यादा समय व्यतीत करती है तो ऐसे में हमें समय निकालकर प्रत्येक महिला को विस्तार से शिशु की देखभाल करने के बारे में समझना चाहिए ताकि किसी प्रकार की कोई लापरवाही की उम्मीद ना रहे और प्रदेश में शिशु मृत्यु दर को कम करने में मदद मिल सके।
डॉक्टर एस के सिंघल ने कहा कि शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए हमारा प्रयास होना चाहिए की गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना और उनकी स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी करना भी हमारा कर्तव्य है। डॉ एस के सिंघल ने कहा कि हमें आमजन को स्वच्छता और संक्रमण नियंत्रण के उपायों के बारे में जागरूक करना चाहिए। हमें आमजन को बताना चाहिए कि कैसे नवजात शिशुओं को उचित देखभाल प्रदान करना, जैसे कि वैक्सीनेशन, पोषण और स्वास्थ्य जांच कितनी महत्वपूर्ण होती है।
डॉ एस के सिंघल ने बताया कि यह मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर भारत सरकार का एनएचएम के माध्यम से चलाया जा रहा बहुत ही महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है ताकि नवजात शिशु में मृत्यु दर कम हो सके।
नियोनाटोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ जगजीत दलाल ने बताया कि उनका प्रयास रहा है कि इन चार दिनों में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को आईसीयू में गंभीर शिशुओं की देखभाल में सक्षम बनाया जाए ताकि वे शिशु मृत्यु दर कम करने में प्रभावी भूमिका निभा सकें। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें यह भी समझाया गया है कि कैसे समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देना है ताकि वे शिशु मृत्यु दर कम करने में अपनी भूमिका निभा सकें।
उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान सभी प्रतिभागियों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा तैयार किए गए एक मैन्युअल को भी प्रदान किया गया है जिसमें विभिन्न बीमारियों के बारे में विस्तार से इलाज एवं अन्य उपकरणों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया गया है।
डॉ जगजीत ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि अब सभी प्रतिभागी अपने अस्पतालों में जाकर गंभीर शिशुओं की आईसीयू में जान बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकेंगे। इस अवसर पर डॉक्टर शिखा , डॉ सतीश, डॉ योगेश, डॉ मुकेश सहित अन्य दर्जनों प्रतिभागी भी उपस्थित थे।