Sunday, October 20, 2024
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रोहतक में अवैध कोचिंग सेंटरों की भरमार, दोनों हाथों से लूट रहे कोचिंग सेंटर संचालक

रोहतक। कोचिंग सेंटर यानि लूट केंद्र, जो खासी कमाई का जरिया बने हुए हैं। कोचिंग सेंटर संचालक छात्रों से तो जमकर उगाही करते हैं, लेकिन पंजीकरण शुल्क अदा करने के नाम पर शून्य हैं। शहर में संचालित एक सैकड़ा से अधिक कोचिंग सेंटर बिना पंजीकरण के ही चल रही हैं। नगर की हर गली में एक कोचिंग सेंटर खुला है तो घरों में ट्यूशन क्लासेज चल रही हैं। जहां एक स्कूल में जुटने वाली छात्र संख्या से कहीं ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ते हुए मिल जायेंगे।

एक-एक कक्षा में कम से कम 30 से 40 तक बच्चे ट्यूशन पढ़ते हैं। प्रतिमाह प्रति बच्चे से एक- एक विषय के 200 से 250 रुपये तक लिये जाते हैं। लेकिन इन कोचिंगों द्वारा नियमानुसार विभाग को पंजीकरण शुल्क अदा नहीं किया जाता है। जबकि कोचिंग चलाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य है। यह पंजीकरण तीन सालों के लिए मान्य होता है, इसके बाद निर्धारित समय पूरा होने पर दोबारा पंजीकरण कराना अनिवार्य है। जिसमें प्रत्येक कोचिंग संचालक को 20 छात्रों पर 1000 रुपये अदा करना होता है। लेकिन कोचिंग संचालक सारे नियमों की अवहेलना कर रहे हैं।

जाम का बने कारण

अवैध कोचिंग सेंटरों की वजह से शहर में लंबे-लंबे जाम लग रहे हैं। सेंटर संचालकों ने पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं कर रखी है। कहीं सड़क के किनारे तो कहीं कालोनियों में अवैध कोचिंग सेंटर धड़ल्ले से चल रहे हैं। सेंटरों पर सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण आए दिन लड़ाई झगड़े और हंगामें की घटनाएं हो रही हैं। खासकर सेंटरों पर आने वाली छात्राओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

प्राइवेट कोचिंग संस्थानों के लिए जारी की गई गाइडलाइन

बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने देश के सभी प्राइवेट कोचिंग और संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की थी। जिसमें कोचिंग सेंटरों की डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के पास रजिस्ट्रेशन करवाने की बात कही गई है।इसके अलावा इसमें 16 साल से कम के बच्चों का एनरोलमेंट करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। कोचिंग के दौरान स्टूडेंट्स में बढ़ रहे तनाव के देखते हुए उनकी साइकोलॉजी और मेंटल हेल्थ का ध्यान रखने की भी जिम्मेवारी संचालक की ही बनती है, साथ ही कोचिंग सेंटर में अग्नि सुरक्षा, भवन सुरक्षा के मानदंडों के नियमों की पालना करना भी जरूरी है।

नियमों में यह भी कहा गया है कि जब तक किसी कैंडिडेट से सहमति नहीं ली जाती तब तक उसका फोटो, वीडियो, नाम या फिर ब्यौरा विज्ञापन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। कोचिंग संस्थान को बिना स्टूडेंट से सहमति लिए उसकी रैंक, मार्क्स के बारे में भी बताना सही नहीं है। मनोवैज्ञानिकों को मानना है कि छोटी उम्र में बच्चों पर स्कूल की पढ़ाई अलावा अतिरिक्त बोझ डालना उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए घातक साबित हो सकता है। अभिभावकों को इस बारे में जागरूक किया जाएगा। यदि कोई सेंटर संचालक ऐसा करता पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

नहीं पूरे करते कोई नियम

शहर के लगभग सभी कोचिंग सेंटर बिना नियम पूरे किए चल रहे हैं। यहां पर अग्रिशमन, पार्किंग और सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक को कोचिंग सेंटर चलाने के लिए प्रशासन से किसी तरह की कोई परमिशन भी नहीं लो गई। बिल्डिंग के लिए नक्शा भी पास नहीं कराया जाता। ऐसे में देश के नौनिहालों अपनी जान हथेली पर रखकर यहां पढ़ाई करने आते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि अभिभावक भी बिना किसी जांच पड़ताल के अपने बच्चों को इन कोचिंग सेंटर में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं। नया कानून ला रही सरकार, 25 हजार जुर्मान का प्रावधान रखा, रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल होगी अवैध कोचिंग सेंटरों पर अब प्रेदश सरकार ने शिकंजा करने का मना बना लिया है।

बिना लाइसेंस कोचिंग सेंटर चलाने वालों के खिलाफ

अब जुमनि के साथ-साथ रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने का भी कानून बनाया जा रहा है। प्रदेश में अब कोई भी कोचिंग इंस्टीट्यूट बिना रजिस्ट्रेशन नहीं चल पाएगा। साथ ही एग्जाम टाइम में स्टूडेंट्स के बढ़ते मेंटल प्रेशर को कम करने के लिए इंस्टीट्यूट में साइक्लोजिस्ट (मनोवैज्ञानिक) रखना होगा। इंस्टीट्यूट स्टूडेंट्स को अच्छे नंबर दिलाने वाले वादे का प्रचार भी नहीं कर सकेंगे।

जल्द चलाया जाएगा अभियान : उपायुक्त

रोहतक उपायुक्त अजय कुमार ने कहा कि रोहतक में चल रहे अवैध कोचिंग सेंटर की जांच के लिए जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों के चचर्चा कर एक टीम का गठन किया जाएगा। अवैध कोचिंग सेंटर संचालकों की पूरी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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