Thursday, September 19, 2024
Homeहरियाणारोहतकरोहतक का सिविल अस्पताल खुद 'बीमार', मरीजों का इलाज कैसे होगा?

रोहतक का सिविल अस्पताल खुद ‘बीमार’, मरीजों का इलाज कैसे होगा?

गरिमा टाइम्स न्यूज.रोहतक। शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों की साढ़े छह लाख की आबादी को भी बीमारी से बचाने वाला अस्पताल आज खुद बारिश की चपेट में आने से टपक रहा है। किसी भी अस्पताल का ब्लड बैंक अत्याधुनिक चीजों से परिपूर्ण होता है। उसके अंदर कूलिंग सिस्टम बेहद जरूरी है। लेकिन रोहतक के सिविल अस्पताल का ब्लड बैंक बारिश की वजह से टपक रहा है। रिकार्ड रूम में सिलिंग तक पानी के कारण उखड़ चुकी है। पिछले दो माह से एसी नहीं चल पा रहे है। ऐसे में मरीज कैसे इलाज कराएगा और कहां रक्तदान करेगा।

बता दें कि शहर के बीच में सामान्य अस्पताल होने के कारण सिर्फ शहर ही नहीं दूर दराज अन्य जिलों से भी अस्पताल में लोगों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में रोजाना दस हजार से ज्यादा मरीज अपना इलाज करवाने के लिए आते है। यहीं नहीं ज्यादातर युवा रक्तदान करने के लिए भी ब्लड बैंक में पहुंचते है। लेकिन जहां पर रक्तदान किया जाता है। वहां की टेबलों पर धूल जमी हुई है। ब्लड बैंक में कूलिंग सिस्टम बेहद जरूरी है, लेकिन पिछले दो माह से एसी न चलने के कारण कर्मचारियों को भी बैठने में समस्या झेलनी पड़ती है। यहीं नहीं कर्मचारी इस बारे में शिकायत तक कर चुके है, लेकिन इस समस्या का कहीं पर भी निदान नहीं करवाया जा रहा है।

रोहतक के सिविल अस्पताल में ब्लड बैंक में उखड़ी सीलिंग

छत के लेंटर का टुकड़ा तक नीचे गिर चुका

बारिश के कारण छत टपकने से लेंटर का एक टुकड़ा तक नीचे गिर चुका है। गनीमत यह रही कि उस समय कोई रक्तदान करने के लिए ब्लड बैंक में कोई रक्तदाता मौजूद नहीं था। वहीं छत टपकने के कारण कोई रक्तदान के लिए भी नहीं पहुंच रहा है। ब्लड बैंक के अंदर बारिश के पानी से होने वाली बदबू से भी कर्मचारी परेशान है, लेकिन इसका पिछले साल से लेकर अभी तक कोई समाधान नहीं किया गया है।

रिकार्ड रूम की सिलिंग टूटी, रिकार्ड भी हुआ गिला

रिकार्ड रूम की छत टपकने से वहां की पूरी सिलिंग अपनी जगह छोड़ चुकी है। इसी के कारण छत से टपकने वाला सारा पानी रिकार्ड पर जाकर पड़ता है। ऐसे में रिकार्ड रूम के अंदर बदबू तक फैल चुकी है। लेकिन वहां की सुध लेने वाला अभी तक कोई अधिकारी मौके पर नहीं आया है।

मरीजों को बाहर से ही लेकर आना पड़ता है खून

धामड़ गांव से पहुंचे मनोज ने बताया कि वह अपने मरीज को साथ लेकर आया हुआ है। लेकिन उसे अब दो यूनिट ब्लड की जरूरत है। लेकिन ब्लड की कमी होने के कारण भी मरीजों को बाहर प्राइवेट ब्लड बैंक से ब्लड लेकर आना पड़ रहा है। अगर कोई रक्तदान करने जाए तो उसके लिए भी वहां पर जगह नहीं है। क्योंकि जहां पर ब्लड लिया जाता है वहां पर धूल जमी हुई है, पानी टपक रहा है। ऐसे में लोगों का जीना मुहाल हो रखा है।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -

Most Popular