रोहतक : उपायुक्त सचिन गुप्ता ने कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों व गर्भवती महिलाओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना जिला प्रशासन की पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि जिला के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनवाड़ी केंद्र में बदला जाएगा। ऐसी सभी आंगनबाड़ियों को मॉडल आंगनबाड़ी बनाया जा रहा है, जिनकी हालात खराब थी।
सचिन गुप्ता ने बताया कि पहले चरण में 50 आंगनबाड़ी केंद्रों को सक्षम (मॉडल) आंगनबाड़ी केंद्र में परिवर्तित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जिला की 50 आंगनबाडिय़ों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया गया है। आंगनबाडिय़ों को सक्षम आंगनवाड़ी बनने पर खर्च हुई राशि जिला प्रशासन द्वारा वहन की गई है। उन्होंने कहा कि खराब हालत वाले आंगनवाड़ी भवनों को सुंदरता प्रदान की गई है। कमरों को पेंटिंग के माध्यम से आकर्षक बनाया गया है। मकसद यही है कि आंगनबाड़ी केंद्रों का वातावरण बच्चों के अनुकूल बनाया जा सके ताकि बच्चे रुचि के साथ घरों से आंगनबाड़ी केंद्रों में आए।
उपायुक्त ने कहा कि अगले चरण में शेष बची हुई खराब हालत वाली आंगनबाड़ियों को चिन्हित करके उन्हें भी मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों में परिवर्तित किया जाएगा। सचिन गुप्ता ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए पोषण, स्वास्थ्य जाँच, टीकाकरण और पूर्व-स्कूली शिक्षा जैसी कई महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान की जाती हैं। रोहतक जिला की सभी आंगनबाडिय़ों को सक्षम आंगनवाड़ी के रूप में आधुनिक बनाने और इनमें सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को कवर किया जाता है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाने वाली सुविधाओं का जिक्र करते हुए उपायुक्त सचिन गुप्ता ने बताया कि इन केंद्रों में बच्चों के लिए पूरक आहार, टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच का कार्य किया जाता है। इसके अलावा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की स्वास्थ्य जांच और देखभाल भी की जाती है। उन्होंने कहा कि कुपोषण से निपटने में आंगनवाड़ी केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उपायुक्त ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों में 3 से 6 साल के बच्चों को पूर्व-स्कूली शिक्षा दी जाती है। आंगनबाड़ी केंद्र मिनी स्कूल के रूप में भी काम करते हैं, जहाँ बच्चों को यूनिफ़ॉर्म और स्टडी किट जैसी चीजें दी जाती हैं।

