रोहतक। रोहतक सहित पूरे प्रदेश में गर्मी का सितम लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इन दिनों आसमान से आग बरस रही है। दिन के समय लू के थपेड़े लोगों को परेशान कर रही है आखों की बीमारियों ने भी जन्म ले लिया है, जिनमें से एक बीमारी ‘कंजंक्टिवाइटिस’ है, जो आंखों को प्रभावित करती है। इन दिनों हरियाणा में इस बीमारी ने कहर बरपाया हुआ है बड़ी संख्या में लोग आई फ्लू का सामना कर रहे हैं चूंकि यह एक तरह का संक्रमण है, इसलिए जो भी पीड़ित व्यक्ति के कॉन्टैक्ट में आता है, उनमें भी कंजंक्टिवाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
मरीजो को हो सकती है ज्यादा दिक्कत
डॉक्टर ने कहा कि कंजंक्टिवाइटिस वैसे तो कोई जानलेवा संक्रमण नहीं है। हालांकि यह आंखों को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए लोगों को इसे सीरियसली लेना चाहिए। कंजंक्टिवाइटिस 5-6 दिनों तक रह सकता है। इसे ‘पिंक आई’ इन्फेक्शन के नाम से भी जाना जाता है। डॉक्टर का कहना है कि ये न तो हवा के जरिए फैलती है और ना ही आई कॉन्टैक्ट करने से फैलती है। कंजंक्टिवाइटिस किसी को तब प्रभावित करता है, जब वो किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों का इस्तेमाल करता है। ज्यादा गर्मी से हमारी आंखों की कॉर्नियल कोशिकाओं में इंफ्लेमेशन का खतरा बढ़ जाता है। गॉगल्स (धूप का चश्मा) के भीतर पहुंच रही गर्मी और उमस भी लंबे समय में आंखों को डैमेज करने का काम करती है। यही कारण है कि भीषण गर्मियों के इस मौसम में अपनी आंखों का बचाव बहुत जरूरी है।
हीट वेव से आंखों का करें बचाव
वही रोहतक के नागरिक हॉस्पिटल के सीनियर डॉ सतेंदर वशिष्ठ का कहना है कि अगर जरूरत हो तो ही घर से बाहर निकले। खासतौर पर छोटे बच्चे व बुजुर्गो को दिक्कत ज्यादा आ रही है। ये बीमारी शुगर के मरीजो के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। गौरतलब है कि प्रदेश मे हीटवेव के चलते लोगो को काफी दिक्कत आ रही है। शरीर के सबसे नाजुक हिस्से को गर्मियों में एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है। आपका शरीर एक बार गर्मी को बर्दाश्त भी कर ले, लेकिन आंखों पर इसका जोर तो पड़ता ही है। यह कह सकते हैं कि गर्मियों में आंखों को प्रोटेक्ट करने का सबसे आसान तरीका तो ये है कि बाहर धूप में न निकलें और हमेशा किसी ठंडी जगह पर ही रहें, लेकिन यह हमेशा संभव नहीं होता। इसलिए सावधानी बरतना और बचाव के तरीके अपनाना ही उपाय है।
बढ़ जाता है ड्रायनेस का रिस्क
यूं तो ध्यान न रखने से आंखों से जुड़ी समस्या कभी भी हो सकती है, लेकिन गर्मियों के मौसम में कुछ खास तरह के इंफेक्शन और एलर्जी का खतरा ज्यादा होता है। यह समस्या उन लोगों को ज्यादा हो सकती है, जो अपने जॉब की जरूरतों के मद्देनजर ज्यादा समय बाहर धूप में बिताते हैं। यूं तो कभी भी आंखों में ड्रायनेस हो सकती है, लेकिन जब मौसम ज्यादा गर्म होता है और हवा में ह्यूमिडिटी या नमी कम हो जाती है तो ड्रायनेस का रिस्क बढ़ जाता है। अगर आप चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो ड्रायनेस के चांसेज और ज्यादा होते हैं। ड्रायनेस बढ़ने पर आंखों से धुंधला दिखना, भारीपन महसूस होना, इचिंग या जलन का एहसास, लाइट सेंसिटिविटी यानी तेज रौशनी में परेशानी, आंखों में एलर्जी, आंख से लगातार पानी आना, मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन देखने में परेशानी, आंखें लाल होना और आंखों में सूजन जैसी परेशानी हो सकती है।
इन्हे सबसे अधिक खतरा
अगर तेज धूप और गर्मी में ज्यादा समय तक बाहर धूप में रहें तो आंखों में स्वेलिंग हो सकती है। गर्मियों में लोग बचाव के लिए स्विमिंग पूल या बीच पर भी ज्यादा जाते हैं। वहां भी पानी के संपर्क में आने से इस तरह की समस्या हो सकती है। इसका लक्षण यही है कि आंखों का ऊपरी हिस्सा, निचला हिस्सा, आंखों के कोर सूज जाएं या पूरी आंख में ही सूजन सी दिखाई देने लगे और देखने में परेशानी हो। कई बार धूप में बाहर काम कर रहे लोगों जैसे ट्रैफिक पुलिस, बस, ट्रेन ड्राइवर्स या धूप में ज्यादा बाहर खेलने पर बच्चों को आंखों में यह समस्या हो सकती है, जिससे आंखों की पल्कें सूज जाती हैं।